Move to Jagran APP

कमाई का नहीं गम, रहेगा अपनों के संग

मुंबई में 17 साल खरीदा कबाड़ अब गांव में बेंच रहा आलू

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Jul 2020 11:14 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2020 06:05 AM (IST)
कमाई का नहीं गम, रहेगा अपनों के संग
कमाई का नहीं गम, रहेगा अपनों के संग

बलरामपुर: क्षेत्र के नचौरा निवासी हनीफ 17 वर्षों तक मुंबई में कबाड़ का कारोबार कर जीविका चला रहा था। कोरोना महामारी में लॉकडाउन के चलते उसे शहर में सब कुछ छोड़कर अपने गांव आना पड़ा। यहां रोजी रोटी का कोई उपाय न दिखा तो उसने आलू बेचना शुरू कर दिया। पहले उसे दिन भर में 500 मिलते थे। अब वह 300 में ही खुश है, क्योंकि वह अपनों के बीच ही रहना चाहता है। उसने ठान लिया है कि कमाई चाहे कम ही हो, लेकिन वह अब शहर नहीं जाएगा। अपने परिवार में बीबी व बच्चों के साथ रहकर यहीं पर चार पैसा कमाकर अपनों की जिदगी संवारेगा। कभी कभार ही आ पाता था घर :

loksabha election banner

हनीफ ने बताया कि वह 17 वर्ष की उम्र में ही मुंबई के भारत बाजार में कबाड़ का काम शुरू किया था। इस दौरान वह कभी कभार ही परिवार से मिलने गांव आता था, लेकिन लॉकडाउन के कारण कबाड़ का काम ठप हो गया। जीवनयापन करने के लिए दो जून की रोटी भी संभव नहीं रहा। ऐसे में सिर्फ यही दिखाई पड़ा कि किसी तरह अपने घर वापस पहुंच जाएं। एक ट्रक पर सवार होकर 4000 रुपये किराया देकर वह अपने गांव नचौरा आ पहुंचा। क्वारंटाइन अवधि पूरी करने के बाद उसने गांव में ही व्यवसाय करने का मन बनाया। गांव में तरह-तरह के रोजगार:

-हनीफ ने बताया कि गांव में तरह-तरह के रोजगार उपलब्ध हैं। उसने भी घर-घर सब्जी बेचने का काम शुरू किया है। इसके लिए सुबह पांच बजे तुलसीपुर मंडी समिति पहुंच जाता हैं। वहां से सब्जी खरीद कर लाता हैं और साइकिल पर झोला, टोकरी बांधकर गांव-गांव सब्जी बेचकर बड़े ही आसानी से 300 रुपये की प्रतिदिन कमाई कर लेता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.