नेटवर्क न बजती टोन, मोबाइल बना मूवी जोन
थारू बाहुल्य 35 गांव नेटवर्क से हैं दूर अपनों से बातचीत करने के लिए करनी पड़ती है दूरी तय
बलरामपुर : कोरोना महामारी की भयावहता का आईना दिखाने में संचार क्रांति ने अपनी अहम भूमिका निभाई है। इसमें स्मार्ट फोन में आरोग्य सेतु एप भी लोगों को सतर्क करने में कारगर साबित हुआ है। इससे इतर भारत-नेपाल सीमा पर बसे करीब 35 थारू गांव नेटवर्क के अभाव में इससे वंचित हो गए। वजह, हर घर में मोबाइल तो है, लेकिन उसका उपयोग महज फिल्में देखने तक सीमित रह गया है। अपनों से जुड़े रहने के लिए महंगे से महंगे मोबाइल फोन थारू युवाओं ने खरीदे, लेकिन हेलो बोलने के लिए उन्हें करीब 15 किलोमीटर दूर जाना होता है। ऐसे में देश-दुनिया से जुड़ी गतिविधियों से अनजान हैं। हां, 20 रुपये में मूवी लोड कराकर टेलीविजन की कमी जरूर पूरी कर लेते हैं।
इन गांवों में नहीं है नेटवर्क :
-थारू बाहुल्य गांवों में बीएसएनएल व किसी भी निजी कंपना का नेटवर्क नहीं है। सकरा सकरी, भुसहर ऊंचवा, भुसहर पुरई, भौरीसाल, डिवहरवा, नरिहवा, चंदनपुर, बनकटवा, सड़नी, मड़नी, गोड़नी, भुकुरवा, पर्वतिहा, भवनियापुर, बनगंवा, रेहरा, परशुरामपुर, गिद्दहवा, मजगवां, बेलभरिया, बिजुवा, सुगवा कोड़र समेत 35 गांवों में मोबाइल नेटवर्क कंपनी के टॉवर नहीं लग सके। ऐसे में यहां के युवाओं को 15 किमी दूरी तय कर पचपेड़वा व गैंसड़ी क्षेत्र में आना पड़ता है। घर-घर दिखा यूं नजारा :
-पचपेड़वा ब्लॉक के नरिहवा थारू ग्राम में कोरोना महामारी को दरकिनार कर हर घर के सामने युवा बिना मास्क व शारीरिक दूरी के मोबाइल में मूवी देखते मिले। गांव के दिनेश कुमार से पूछा गया, तो उसने जवाब दिया कि वह लोग 20 से 50 रुपये खर्च कर मोबाइल में फिल्में लोड करा लेते हैं। जिससे उनका समय आराम से कट जाता है। पवन कुमार ने बताया कि महंगी कंपनी का मोबाइल लिया था। सोचा था नेटवर्क आ गया, तो इंटरनेट के साथ अपनों से भी जुड़ जाएंगे। अब पैसे खर्च हुए हैं तो इसका फायदा फिल्में देखकर ही मिल रहा है।
बोले जिम्मेदार :
-अपर जिलाधिकारी अरुण कुमार शुक्ल का कहना है कि दूरसंचार कंपनी के अधिकारियों से वार्ता कर समस्या का निस्तारण कराया जाएगा। जंगल होने के कारण संचार के विस्तार में समस्या आ रही है।