भारत की छांव में संवर रहीं नेपाली मां की गोद
सीमावर्ती अस्पतालों में नेपालियों को मिल रही प्रसव सुविधा। महिला डाक्टरों की वजह से संबध बन रहे मधुर।
पवन मिश्र, बलरामपुर
नेपाल भले ही चीन की गोद में बैठकर भारत से याराना खत्म करना चाह रहा है। लेकिन, यहां की बेटियां अब भी नेपाल में खुशियां बांट रही हैं। कारण, नेपाल सीमा से लगे तीन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पचपेड़वा, गैंसड़ी व तुलसीपुर में प्रसव का जिम्मा संभाल रही तीन डाक्टर बेटियां डा. आकांक्षा सिंह, डा. निहारिका सिंह व डा. सौम्या नायक हर माह तीन से चार नेपाली महिलाओं का प्रसव कराकर उन्हें सुरक्षित मातृत्व का सुख दे रही हैं। भारत में हर साल पैदा होने वाली 40 से 50 संतानों की किलकारी नेपाल तक गूंजती है।
भारत-नेपाल के बीच रोटी-बेटी का संबंध सदियों पुराना है। नेपाल सीमा से सटे तुलसीपुर, गैंसड़ी, पचपेड़वा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र क्षेत्र में आने वाले 12 से अधिक गांव ऐसे हैं, जहां नेपाल के लोगों की रिश्तेदारी है। मायका व ससुराल होने के कारण वहां की बेटियां, महिलाएं यहां आती जाती रहती हैं। चूंकि नेपाल में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर नहीं हैं। वहां, की अपेक्षा भारतीय सीमा में स्थित अस्पतालों में जच्चा-बच्चा को आवश्यक इलाज आसानी से मिल जाता है। यही वजह है कि नेपाल की गर्भवती यहां प्रसव कराना अधिक सुरक्षित महसूस करती हैं। साथ ही बैंक खाता भारत में होने पर उन्हें जननी सुरक्षा योजना का भी लाभ मिल जाता है।
पचपेड़वा के अधीक्षक डा. मिथिलेश ने बताया कि उनके यहां ही साल भर में 10 से 15 प्रसव नेपाली महिलाओं के होते हैं। इसी तरह सीमावर्ती सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गैंसड़ी व तुलसीपुर में भी नेपाली महिलाओं को सुरक्षित मातृत्व का वरदान मिल रहा है।
समान रूप से किया जाता है व्यवहार :
गैंसड़ी सीएचसी के अधीक्षक डा. वीरेंद्र आर्या कहते हैं कि नेपाली महिलाओं को भी भारतीय महिलाओं की तरह संसाधन मुहैया कराए जाते हैं। उनके साथ समान व्यवहार किया जाता है। तुलसीपुर के अधीक्षक डा. सुमंत सिंह चौहान कहते हैं कि नेपाली महिलाएं मेहमान की तरह होती हैं, उनके इलाज का विशेष ख्याल रखा जाता है।
अस्पतालों में हुए नेपाली महिलाओं के प्रसव :
सीएचसी 2020 - 2021
पचपेड़वा - 15 18
गैंसड़ी - 14 - 16
तुलसीपुर - 04 - 05 बेहतर सेवाओं से आ रही मजबूती :
मुख्य चिकित्साधिकारी डा. विजय बहादुर सिंह ने बताया कि प्रसव समेत बेहतर चिकित्सा सेवाओं से भारत व नेपाल दोनों देशों के लोग लाभ उठा रहे हैं, जिससे रिश्तों में मजबूती आ रही है। यह सुखद है जो चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों में कार्य करने की प्रेरणा पैदा करती है। वर्तमान समय में कोरोना संक्रमण के चलते आवागमन पर पाबंदी है।