स्वच्छ और निर्मल बन रहे गांव
800 में से 725 ग्राम पंचायतों में बने सामुदायिक शौचालय आधी आबादी के लिए गांवों में पिक टायलेट।
त्रिपुरारी शंकर तिवारी, बलरामपुर :
प्रधानमंत्री का स्वच्छ भारत मिशन रंग ला रहा है। गांवों को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए जिले भर में सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराया गया है। महिलाओं की सहूलियत को देखते हुए पिक टायलेट निर्माण की कवायद शुरू हो गई है। शौचालयों के उपयोग से गांव की गंदगी दूर हुई है। साथ ही बीमारियों का ग्राफ भी कम हुआ है।
पांच गांवों में बने पिक टायलेट तैयार : नगर व ग्रामीण क्षेत्रों को खुले में शौचमुक्त करने के लिए योजना संचालित है। व्यक्तिगत और सामुदायिक शौचालय के साथ अब पिक टायलेट के निर्माण पर भी जोर दिया जा रहा है। पिक टायलेट निर्माण का उद्देश्य आधी आबादी को बेहतर सुविधा मिल सके। दो सीट वाले शौचालय की लागत तीन लाख 40 हजार रुपये है। चार ब्लाकों के पांच गांवों में निर्माण किया गया है। हर्रैया सतघरवा के उदरहिया गांव में पिक टायलेट का निर्माण चल रहा है। उतरौला के मझौवा कुरथुवा, मसीहाबाद ग्रंट, रेहराबाजार के खरिका मासूमपुर व पचपेड़वा के इमिलिया कोड़र में निर्माण हो चुका है।
725 गांवों में सामुदायिक शौचालय :
725 गांवों में सामुदायिक शौचालय बन गया है। प्रतिवर्ष पांच प्रतिशत परिवारों की वृद्धि मानी जाती है। ऐसे में इनको व्यक्तिगत शौचालय का लाभ नहीं मिल पाता है। इसीलिए इस तरह के शौचालयों का निर्माण प्राथमिकता के आधार पर कराया जाता है। 75 ग्राम पंचायतों में भी सामुदायिक शौचालयों का निर्माण प्रक्रिया में है। इन शौचालयों के संचालन की कमान स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के हाथ में दी जाएगी।
तेजी से निर्माण का निर्देश :
जिला पंचायत राज अधिकारी नीलेश प्रताप सिंह का कहना है कि सभी ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय के साथ पिक टायलेट का भी निर्माण भी किया जा रहा है। कई गांवें में पिक टायलेट तैयार भी हो चुके हैं। इसकी साफ-सफाई व देखरेख के लिए जिम्मेदारी तय की जाएगी।