गठजोड़ के जहर से जन औषधि केंद्र ही निर्जीव
बलरामपुर कमीशन के लिए डाक्टर लिख रहे बाहर की जांच व दवा औषधि केंद्र की जगह दिखा रहे मेडिकल स्टोर का रास्ता।
पवन मिश्र, बलरामपुर :
सरकार ने गरीब मरीजों को सस्ते में दवाएं देने के लिए अस्पतालों में जन औषधि केंद्र खोला था, लेकिन चिकित्सकों व मेडिकल माफिया के गठजोड़ के जहर ने जन औषधि केंद्र को ही निर्जीव कर दिया। दिन भर में 600 से अधिक मरीज इलाज कराने आते हैं, लेकिन 60 लोग भी इस औषधि केंद्र से दवाएं नहीं ले जाते हैं जबकि बाहर के मेडिकल स्टोर प्रतिदिन 100 से अधिक लोगों को दवाएं बेंच देते हैं। अस्पताल के बाहर बढ़ती निजी मेडिकल स्टोरों की संख्या साफ इशारा कर रही है कि सरकारी अस्पतालों के सामने निजी दवाओं का धंधा कितना चोखा है। कई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इसका संचालन ही नहीं हो पाया, तो कई जगह यह कुछ दिन चलने के बाद बंद हो गया। ऐसे में मुफ्त इलाज कराने आए मरीजों चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी निजी मेडिकल स्टोरों से दवाएं खरीदने को भेजकर उन्हें कंगाल कर देते हैं। 450 रुपये की लिख दी सिर दर्द की दवा : निजी मेडिकल स्टोर से दवा लेकर लौट रही उतरौला की खुशनुमा ने निचले तल पर बैठे बाल रोग विशेषज्ञ ने 450 रुपये की दवा बाहर से लिख दी। साथ में आई मुस्कान को भी 200 रुपये की दवा बाहर से लेनी पड़ी। वारिजहां ने बताया कि बड़ी उम्मीद से आई थीं, कि मुफ्त इलाज होगा लेकिन यहां दवा में ही बहुत रुपये खर्च हो गया। सदर विधायक ने लिखी चिट्ठी फिर नहीं हुई जांच : भले ही जनप्रतिनिधि भ्रष्ट चिकित्सकों की पैरवी करें, लेकिन संयुक्त चिकित्सालय में सुनी किसी की नहीं जाती है। कुछ ऐसा ²श्य सोमवार को दिखा जब सदर विधायक पल्टूराम का पत्र लिए विशुनपुर का गोपीचंद भटकता रहा। बताया कि वह विधायक का सेवक है। अल्ट्रासाउंड कराना था तो उन्होंने पत्र लिख दिया। पत्र पर लिखे फोन नंबर पर फोन किया तो कहा गया कि दूसरे दिन आइए। आज कहीं अलग गए हैं। प्रभारी सीएमएस डा. एनके बाजपेयी ने बताया कि यदि किसी को शिकायत है तो वह लिखित दे फिर जांच कराई जाएगी।