माइक्रोस्कोप पर टिकी अस्पतालों की लैब, लुट रहे मरीज
निजी पैथोलॉजी केंद्रों पर मरीज चुका रहे मुंहमांगी कीमत अस्पतालों में नहीं हैं आधुनिक मशीनें
बलरामपुर : मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के नाम पर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाए जा रहे हैं, लेकिन दर्द कम नहीं हो रहा है। दवाओं से ज्यादा मरीज जांच कराने में लुट रहे हैं। वजह, अधिकांश अस्पतालों की पैथोलॉजी माइक्रोस्कोप पर टिकी है। आधुनिक मशीनें न होने से मरीजों को निजी केंद्रों पर जांच करानी पड़ती है। जिले में नौ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 11 ब्लॉक स्तरीय पीएचसी व 23 नवीन, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित हैं। इनमें से किसी भी अस्पताल की पैथोलॉजी में जांच मशीन नहीं है। ऐसे में निजी केंद्रों व चिकित्सक के बीच कमीशनखोरी का खेल धड़ल्ले से चल रहा है।
²श्य एक : जिला मुख्यालय से सटे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जोकहिया की पैथोलॉजी माइक्रोस्कोप के सहारे हैं। यहां आने वाले मरीजों के खून, यूरिन व बलगम की जांच तो होती है, लेकिन एलाइजा मशीन न होने के कारण अक्सर जिला मेमोरियल चिकित्सालय भेजना पड़ता है।
²श्य दो : करीब 15 किलोमीटर दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र श्रीदत्तगंज में मलेरिया, टॉइफाइड, एचआइवी, वीडीआरएल, टीबी व शुगर की जांच किट से होती है। अन्य जांचों के लिए मरीजों को निजी पैथोलॉजी सेंटर पर जाकर मुंहमांगी कीमत चुकानी पड़ती है।
²श्य तीन : मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नंदनगर की पैथोलॉजी बदहाल है। पुराने भवन में संचालित लैब में धूल व गंदगी जमी है। यहां संसाधन के नाम पर सिर्फ माइक्रोस्कोप ही है। अक्सर बिजली न होने की बात कहकर कर्मचारी मरीजों को मुख्यालय भेज देते हैं। ऐसे में गर्भवती व क्षय रोगियों को भी कई किलोमीटर दौड़ना पड़ता है। भेजी गई है डिमांड :
-सीएमओ डॉ. घनश्याम सिंह का कहना है कि सीएचसी व पीएचसी में माइक्रोस्कोप व किट से जांच होती है। आधुनिक मशीनों के लिए डिमांड भेजी जा चुकी है।