बलरामपुर : दिव्यांगजन को समुचित सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से संयुक्त अस्पताल परिसर में स्थापित जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र अपनी उपयोगिता साबित नहीं कर पा रहा है। वजह, केंद्र का जिम्मा संभालने वाले कर्मचारी मानदेय न मिलने से मुफलिसी के शिकार हैं। केंद्र का उद्देश्य दिव्यांगजन को फिजियोथेरेपी, मानसिक रोग के बच्चों का मनोवैज्ञानिक तरीके से उपचार व दिव्यांगजन को रोजगारपरक प्रशिक्षण एवं सहायता दिलाना था। समय के साथ सरकार की प्राथमिकता बदली तो, यहां दिव्यांगों के पुनर्वास का बीड़ा उठाने वाले कर्मचारी खुद दाने-दाने को मोहताज हो गए। आज हालत यह है कि किसी को दो साल से मानदेय नहीं मिला तो किसी को तीन साल से।
छह लोग ने छोड़ दी नौकरी :
तीन साल पहले तत्कालीन जिलाधिकारी की पहल पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार के अधीन जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र का संचालन शुरू हुआ था। केंद्र पर दिव्यांगजन व मानसिक रोग के बच्चों को सुविधाएं मिलनी शुरू हुईं। फिजियोथेरेपी, उपचार व पेंशन की सुविधा तो मिलने लगी, लेकिन पुनर्वास अब तक नहीं शुरू हो सका। मानदेय समय पर न मिलने से परेशान छह काउंसलर व कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ दी। दो बार भेजा प्रस्ताव, नहीं आया जवाब :
यहां तैनात मनोरोग विशेषज्ञ पंडित लाल यादव, फिजियोथेरेपिस्ट रघुवीर सिंह, ऑर्थो टेक्नीशियन नरेंद्र नारायन को अक्टूबर 2016, ऑडियोलाजिस्ट दुर्गेश गुप्त व फील्ड एंड पब्लिसिटी असिस्टेंट शुभम गुप्त को जुलाई 2018, एकाउंटेट कम स्टोर कीपर अंजली श्रीवास्तव को मार्च 2018 व लोकनाथ साहू, दिनेश, सत्यप्रकाश, संजय सोनकर, दिवाकर, अनिल यादव को जुलाई 2018 से मानदेय नहीं मिला है। कर्मचारियों ने कई बार मानदेय न मिलने की समस्या उठाई। -------------
मानदेय के बजट के लिए दो बार शासन को प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया है। बजट मिलने पर कर्मचारियों को मानदेय का भुगतान किया जाएगा।
अजीत कुमार सिह, दिव्यांग जन कल्याण अधिकारी
अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप
1952 से 2019 तक इन राज्यों के विधानसभा चुनाव की हर जानकारी के लिए क्लिक करें।