एमडीएम योजना में शासन के फरमान की अनदेखी
परिषदीय स्कूलों में मध्याह्न भोजन में बड़े पैमाने पर धांधली की चर्चाएं आम हो चुकी हैं। बावजूद इसके जिले का बेसिक शिक्षा महकमा गंभीर नहीं है। स्कूलों में कार्रवाई का ढिढोरा पीटकर अफसर अपनी पीठ तो थपथपा लेते हैं लेकिन शासन का फरमान उनके लिए कोई मायने नहीं रखता।
बलरामपुर : परिषदीय स्कूलों में मध्याह्न भोजन में बड़े पैमाने पर धांधली की चर्चाएं आम हो चुकी हैं। बावजूद इसके जिले का बेसिक शिक्षा महकमा गंभीर नहीं है। स्कूलों में कार्रवाई का ढिढोरा पीटकर अफसर अपनी पीठ तो थपथपा लेते हैं, लेकिन शासन का फरमान उनके लिए कोई मायने नहीं रखता। जी हां, बेसिक शिक्षा निदेशालय से सभी स्कूलों में एमडीएम रजिस्टर बनाकर नौनिहालों का हस्ताक्षर कराने का निर्देश अफसर भूल गए। ऐसे में मध्याह्न भोजन ग्रहण करने वाले बच्चों की फर्जी रिपोर्टिंग का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। मेन्यू के विपरीत भोजन तो कहीं फल-दूध का वितरण न होना विभागीय दावों की कलई खोल रहा है।
इस संबंध में बीएसए हरिहर प्रसाद का कहना है कि एमडीएम रजिस्टर बनाने के निर्देश दिए गए हैं। जल्द ही स्कूलों का निरीक्षण कर लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बेसिक शिक्षा निदेशालय ने फरवरी में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों से मध्याह्न भोजन करने से पूर्व एमडीएम पंजिका पर हस्ताक्षर कराने का फरमान जारी किया था। इसके लिए प्रत्येक विद्यालय को एक रजिस्टर बनाना है। जिसमें एमडीएम खाने वाले बच्चों को अपने नाम के सामने हस्ताक्षर कर कक्षा लिखनी थी। गैरहाजिर बच्चों के कॉलम में शिक्षक को लाल कलम से अनुपस्थिति दर्ज करनी थी। नवीन शिक्षा सत्र शुरू हुए सात माह बीतने को हैं, लेकिन अफसरों ने अब तक निदेशालय के फरमान का अनुपालन कराना मुनासिब नहीं समझा।
प्राथमिक स्कूल में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चों को अक्षर ज्ञान व शब्दों को एक साथ मिलाकर लिखने की जानकारी नहीं है। बच्चे हिदी में अपना नाम भी शुद्ध नहीं लिख पाते हैं। जिसकी पुष्टि बीएसए, बीईओ व एबीआरसी के निरीक्षण में हो चुकी है। ऐसे में बिना शब्द ज्ञान के बच्चों से एमडीएम पंजिका पर हस्ताक्षर कराने की बात भी गले नहीं उतर रही है।