चार लाख लोग पी रहे दूषित जल, 115 गांव प्रभावित
जिले के चार ब्लॉकों की दस लाख आबादी में करीब चार लाख लोग दूषित जल पी रहे हैं जिससे उनमें हीमोक्रीमाटेसिस (रक्त की वर्णता) जैसी खतरनाक बीमारी पनप रही है। लाल व पीला जल पी रहे लोगों का यही हाल रहा तो आने वाले कुछ दिनों में स्थिति भयावह हो सकती है। जल निगम ने आयरन अधिकता वाले गांवों को चिह्नित करने की कवायद शुरू कर दी है।
बलरामपुर : जिले के चार ब्लॉकों की दस लाख आबादी में करीब चार लाख लोग दूषित जल पी रहे हैं जिससे उनमें हीमोक्रीमाटेसिस (रक्त की वर्णता) जैसी खतरनाक बीमारी पनप रही है। लाल व पीला जल पी रहे लोगों का यही हाल रहा, तो आने वाले कुछ दिनों में स्थिति भयावह हो सकती है। जल निगम ने आयरन अधिकता वाले गांवों को चिह्नित करने की कवायद शुरू कर दी है।
110 फिट नीचे है शुद्ध पानी : नेपाल सीमा से सटे जिले के चार विकास खंडों तुलसीपुर, गैंसड़ी, पचपेड़वा व हरैया सतघरवा में भूगर्भ जलस्तर बहुत नीचे हैं। गैंसड़ी ब्लॉक क्षेत्र के मटेहना, बसंतपुर, सोनपुर, मझौली, सुगांव, मछावर, खदगौरा, चैपुरवा, हरखा समेत 115 गांवों में लोग जो पानी पीे रहे हैं, वह कठोर है। इस पर तैलीय परत जमी होती है। इसे अगर रात भर रख दिया जाए तो यह लाल हो जाता है। गैंसड़ी बाजार में लगी दो पानी टंकी चार साल से खराब है। शुद्ध जल के लिए 110 फिट की बोरिग होनी चाहिए जो करा पाना आम आदमी के बस की बात नहीं है। कारण पहाड़ की जड़े फैली हुई है। 40-50 फिट पर लगे छोटे नलों का दूषित पानी पीने को लोग विवश हैं। जिसमें आयरन 1.5 पीपीएम पाया जाता है। कहीं-कहीं यह स्थिति 2.0 पीपीएम तक पहुंच गई है।
पानी की कमी से पनप रही बीमारी : गैंसड़ी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक डॉ. वीरेंद्र आर्या ने बताया कि अस्पताल आने वाले अधिकांश मरीज पानी की कमी से बीमार होते हैं। लीवर कमजोर होने, उल्टी, पेट में जलन, हड्डी में सूजन व बाल झड़ने की शिकायतें रहती हैं। इन मरीजों को पानी उबाल व छानकर पीने की सलाह दी जाती है। साथ ही नल में मोटा सूती कपड़ा बांधकर पानी का उपयोग करें।
आयरन की अधिकता वाले गांव होंगे चिह्नित : जल निगम के सहायक अभियंता विवेक कुमार का कहना है कि तुलसीपुर, पचपेड़वा, हरैया व गैंसड़ी ब्लॉकों में शुद्ध पानी 110 फिट गहराई पर मिलता है। 40-50 फिट पर मिलने वाले पानी में आयरन की मात्रा अधिक होती है। आयरन की अधिकता वाले गांवों को चिह्नित किया जा रहा है।