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वन अपराध पर कसी नकेल, माफिया जाएंगे जेल

सोहेलवा जंगल के बीशकीमती पेड़ों पर वन माफिया की नजर है। माफिया वनों की कटान करने से बाज नहीं आ रहे हैं जिससे वन्य जीवों का आश्रय प्रभावित हो रहा है। साथ ही जंगल का अस्तित्व सिमटता जा रहा है। जंगल की सुरक्षा के लिए वन विभाग ने वन अपराध पर अंकुश लगाने को सख्त हो गया है। वन विभाग ने विभाग ने माफिया पर नकेल कसने के लिए गैंगस्टर व गुंडा एक्ट की कार्रवाई शुरू की है। जिससे वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा की जा सके। वन विभाग के एक अफसर की मानें तो ऐसे गिरोह भी चिन्हित किए गए हैं जो जंगल के लिए खतरा हैं। जल्द ही वन अपराध में लिप्त सभी माफिया सलाखों के पीछे होंगे।

By JagranEdited By: Published: Sat, 02 Nov 2019 10:50 PM (IST)Updated: Sun, 03 Nov 2019 06:35 AM (IST)
वन अपराध पर कसी नकेल, माफिया जाएंगे जेल
वन अपराध पर कसी नकेल, माफिया जाएंगे जेल

रमन मिश्र, बलरामपुर : सोहेलवा जंगल के बीशकीमती पेड़ों पर वन माफिया की नजर है। माफिया वनों की कटान करने से बाज नहीं आ रहे हैं, जिससे वन्य जीवों का आश्रय प्रभावित हो रहा है। साथ ही जंगल का अस्तित्व सिमटता जा रहा है। जंगल की सुरक्षा के लिए वन विभाग ने वन अपराध पर अंकुश लगाने को सख्त हो गया है। वन विभाग ने विभाग ने माफिया पर नकेल कसने के लिए गैंगस्टर व गुंडा एक्ट की कार्रवाई शुरू की है। जिससे वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा की जा सके। वन विभाग के एक अफसर की मानें तो ऐसे गिरोह भी चिन्हित किए गए हैं, जो जंगल के लिए खतरा हैं। जल्द ही वन अपराध में लिप्त सभी माफिया सलाखों के पीछे होंगे।

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भारत-नेपाल सीमा पर स्थित सोहेलवा वन्यजीव प्रभाग 452 वर्ग किलोमीटर में फैला है। जंगल के रास्ते भारत व नेपाल के तस्कर जंगल की लकड़ियों को इस पार से उस पार आसानी से पहुंचाते हैं। यही नहीं जंगली जानवरों का शिकार कर उनके खाल व अवशेषों की तस्करी भी बड़े पैमाने पर की जाती है। सीमा पर एसएसबी की तैनाती के बाद नेपाल सीमा पार से होने वाले वन अपराधों पर तो कफी हद तक अंकुश लगा है, लेकिन भारतीय क्षेत्र में अवैध कटान बदस्तूर जारी है। इनसेट

वन संपदा से भरपूर है सोहेलवा : सोहेलवा जंगल प्राकृतिक संपदाओं का खजाना कहा जाता है। जंगल में साखू, सागौन, खैर, अर्जुन, शीशम, काला शीशम समेत अन्य बहुमूल्य प्रजाति के पेड़ पाए जाते हैं। माफिया पेड़ों की कटान कर जंगल की हरियाली को नष्ट कर रहे हैं। जंगल में भालू, तेंदुआ, हिरन, लकड़बग्घा सहित कई जंगली जानवर रहते हैं। साथ ही जंगल में कई दुर्लभ जड़ीबूटियां भी पाई जाती हैं। माफिया यहां की वन संपदा को क्षति पहुंचाकर मालामाल हो रहे हैं।

46 पर हो चुकी है कार्रवाई : प्रभागीय वन अधिकारी रजनीकांत मित्तल का कहना है कि वन्य जीवों की सुरक्षा व जंगल के अस्तित्व को बचाने के लिए माफिया के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है। पूर्व में 46 लोगों के खिलाफ गैंगस्टर व गुंडा एक्ट की कार्रवाई हो चुकी है। साथ ही वन अपराध में लिप्त सात गिरोह के सदस्यों को जिलाबदर करने के लिए डीएम को पत्रावली दी गई थी। अभियान चलाकर दो माह में वन माफिया को जेल भेजा जाएगा।


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