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खेतों में भरा बाढ़ का पानी, चौपट हुई किसानी

जलनिकासी के लिए नहीं हुई पहल बारिश के मौसम में हजारों हेक्टेयर फसल हो जाती है खराब

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2020 10:03 PM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 06:08 AM (IST)
खेतों में भरा बाढ़ का पानी, चौपट हुई किसानी
खेतों में भरा बाढ़ का पानी, चौपट हुई किसानी

बलरामपुर : गौरा चौराहा क्षेत्र के करीब साढ़े तीन हजार किसान फसलों की सिचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर हैं। वहीं कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जहां जल प्रबंधन न होने के कारण बारिश किसानों के लिए अभिशाप बन जाती है। हर साल बारिश व बाढ़ करीब चार किसान किसानों के लिए मुसीबत लेकर आती है। बारिश के कारण करीब दो हजार हेक्टेयर खेत जलमग्न हो जाता है। लो लैंड एरिया में होने के कारण थोड़ी सी बारिश होते ही चारों तरफ पानी-पानी हो जाता है। पहाड़ी नाला का तटबंध क्षतिग्रस्त होने से स्थिति भयावह हो गई है।

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इन गांव के पास भरा पानी :

- अजय सिंह, राकेश शुक्ल, विजय प्रकाश मौर्य ने बताया कि बाढ़ तो खत्म हो जाता है, लेकिन गौरा चौराहा क्षेत्र में उपजाऊ जमीन में पानी भरा रहता है। जिससे खरीफ की फसलें तो बर्बाद होती हैं। वहीं रबी फसल की बोआई समय से नहीं हो पाती है। क्षेत्र के थरुवा-थरुनिया, नेवरी, गोदहना, भुसैलवा, खजुरिया, भरभरिया गांव में करीब दो हजार हेक्टेयर भूमि जलमग्न है। जलनिकासी के लिए बनी ड्रेनों में सिल्ट जमा होने से पानी नहीं निकल पाता है। गांव के चकरोड व संपर्क मार्ग ऊंचा होने से जलनिकासी बाधित है। हर साल बाढ़ प्रभावित गांवों की खेती खराब हो जाती है। आलम यह है कि किसानों की लागत तक नहीं निकल पाती है। जिससे किसान कर्ज में डूब जाता है। किसानों ने इस वर्ष मेंथा की खेती की थी, लेकिन फसल काटने के समय बारिश व बाढ़ आ गया। जिससे खड़ी फसल बर्बाद हो गई।

जिम्मेदार के बोल : -एडीएम अरुण कुमार शुक्ल का कहना है कि बाढ़ खंड के अधिकारियों से वार्ता कर समस्या का निस्तारण कराया जाएगा। जिससे किसानों की परेशानी दूर हो सके।


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