इंतजार या सितम, मुसीबत में थामते पड़ोसी जिले का दामन
जिला बने 22 साल बीत गए लेकिन आज भी कई सरकारी सेवाएं यहां मयस्सर नहीं हो सकी हैं। ऐसे में मुसीबत के
बलरामपुर : जिला बने 22 साल बीत गए, लेकिन आज भी कई सरकारी सेवाएं यहां मयस्सर नहीं हो सकी हैं। ऐसे में मुसीबत के मारे लोगों को अपने दर्द पर मरहम लगाने के लिए पड़ोसी जनपद गोंडा की खाक छाननी पड़ती है। विकास के नाम पर पानी की तरह पैसे बहाए गए, लेकिन जिले के माथे पर पिछड़ेपन का कलंक धुला नहीं है।
आज भी जिले में नारी संरक्षण केंद्र, बाल संरक्षण गृह, वृद्धाश्रम, बाल सुधार गृह और महिला कल्याण आश्रम की स्थापना नहीं हो पाई है। शक्तिपीठ देवीपाटन मंदिर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दूसरा घर कहा जाता है। सीएम का अक्सर यहां कार्यक्रम भी लगा रहता है। बावजूद इसके जिले की खामियां दूर नहीं हो सकी हैं।
माननीयों को नहीं नजर आता जिले का दर्द : महिला उत्पीड़न, दुष्कर्म व अन्य मामलों की शिकार महिलाओं का दर्द उस समय बढ़ जाता है, जब उन्हें ठहरने की जगह नहीं मिलती। जिले में पीड़िता के ठहरने के लिए नारी संरक्षण केंद्र नहीं है। जिससे पीड़िता को महिला सिपाही के साथ रात गुजारने के लिए गोंडा जाना पड़ता है। इसी तरह लावारिस बच्चों को रखने के लिए बाल संरक्षण गृह नहीं बना है। ऐसे में मासूमों को गोंडा स्थित बाल संरक्षण गृह भेज दिया जाता है। बाल अपराध में लिप्त बच्चों को भी गोंडा स्थित बाल सुधार गृह भेजा जाता है। अपनों से ठुकराए वृद्धजन के लिए सरकारी वृद्धाश्रम नहीं है।
नहीं है न्यायिक अधिकारियों के आवास : न्याय देने वाले न्यायिक अधिकारी किराये के मकानों में गुजर-बसर कर रहे हैं। जनपद न्यायाधीश व जजेज आवास का निर्माण सुस्त है। इसी तरह अन्य सरकारी विभागों के आला अधिकारियों को भी उनकी छत नहीं मिल सकी है। कोट
- जिला स्तर पर जो भी कमियां हैं, उन्हें दूर कराने के लिए मुख्यमंत्री से मुलाकात कर प्रस्ताव दिया जाएगा।
- पल्टूराम, (सदर विधायक)