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धान में नमी बता किसानों को भेज रहे वापस

जिले में धान खरीद रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है। अब तक तीनों क्रय एजेंसियों ने मिलकर 442 मीट्रिक टन धान की खरीद कर सकी है। ऐसे ही धान खरीद की रफ्तार रही तो लक्ष्य तो दूर उसके इर्द-गिर्द पहुंचना मुश्किल होगा। 700 किसान अपनी उपज बेचने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण करवा चुके हैं। उधर धान की उठान के लिए ट्रांसपोर्टर खोजे नहीं मिल रहे हैं। खरीद किए गए धान केंद्रों पर रखे हुए हैं। जिससे क्रय केंद्र प्रभारियों की मुसीबतें बढ़ गई है। राइस मिलर्स के अनुबंध की प्रक्रिया भी उलझी हुई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 10:23 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 06:10 AM (IST)
धान में नमी बता किसानों को भेज रहे वापस
धान में नमी बता किसानों को भेज रहे वापस

बलरामपुर : जिले में धान खरीद रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है। अब तक तीनों क्रय एजेंसियों ने मिलकर 442 मीट्रिक टन धान की खरीद कर सकी है। ऐसे ही धान खरीद की रफ्तार रही तो लक्ष्य तो दूर उसके इर्द-गिर्द पहुंचना मुश्किल होगा।

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700 किसान अपनी उपज बेचने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण करवा चुके हैं। उधर धान की उठान के लिए ट्रांसपोर्टर खोजे नहीं मिल रहे हैं। खरीद किए गए धान केंद्रों पर रखे हुए हैं। जिससे क्रय केंद्र प्रभारियों की मुसीबतें बढ़ गई है। राइस मिलर्स के अनुबंध की प्रक्रिया भी उलझी हुई है।

23 केंद्रों पर हो रही धान खरीद : जिले में 10700 मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए 23 क्रय केंद्र खोले गए हैं। इनमें पीसीएफ के 11, यूपीएसएस के छह व खाद्य विपणन विभाग के छह क्रय केंद्र शामिल हैं। खाद्य विपणन विभाग ने 301 एमटी, पीसीएफ ने 69 व यूपीएसएस 72 एमटी धान खरीद कर सका है। अभी तक 48 किसानों को ही योजना का लाभ मिल सका है।

किसानों को कर रहे वापस : धान में नमी बताकर किसानों को क्रय केंद्रों से वापस भेजा जा रहा है। रेहार के रामचंदर व पिपरा के गोविद प्रसाद ने बताया कि वह क्रय केंद्र पर धान बेचने के लिए गए थे। जहां से दोनों के धान में नमी बताकर वापस भेज दिया गया।

करें शिकायत : खाद्य विपणन अधिकारी नरेंद्र तिवारी ने बताया कि कंट्रोल रूम बनाया गया है। जहां किसान 923558511 नंबर पर डॉयल कर शिकायत दर्ज करवा सकता है। जितेंद्र शुक्ल को कंट्रोल रूम का प्रभारी बनाया गया है। उन्होंने बताया कि धान खरीद में तेजी लाने के लिए क्रय एजेंसियों को निर्देश दिया जा चुका है। ट्रांसपोर्ट व मिलर्स से अनुबंध किए जाने की कवायद अंतिम दौर में हैं।


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