कोरोना वैक्सीन को लंबी कतार..और लापरवाही बेशुमार
टीकाकरण में लगे कर्मियों को नहीं मिला लैपटाप इंटरनेट धूप में गश खाकर गिरने को बुजुग
टीकाकरण में लगे कर्मियों को नहीं मिला लैपटाप इंटरनेट, धूप में गश खाकर गिरने को बुजुर्ग मजबूर संवादसूत्र, बलरामपुर :
जिले में कोरोना महामारी की दहशत बढ़ती जा रही है। वैक्सीन लगवाने को अस्पतालों में लंबी कतार लग रही है। आलम यह है कि बुजुर्ग कड़ी धूप में लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं, लेकिन महिला अस्पताल प्रशासन की संवेदनहीनता चरम पर है। यहां शारीरिक दूरी के नियम तार-तार होने के साथ ही वैक्सीन में लगे कर्मियों को पर्याप्त संसाधन मुहैया नहीं कराए गए हैं। वैक्सीन की पहली व दूसरी डोज के लिए एक ही काउंटर पर पंजीकरण होता है। इसके बाद वैक्सीनेशन के लिए एकमात्र स्वास्थ्यकर्मी को लगाया गया है। पोर्टल सुस्त होने की दुहाई देकर प्रभावशाली लोगों का टीकाकरण पहले हो जाता है। इससे घंटों लाइन लगाने वाले बुजुर्गों की परेशानी बढ़ जाती है।
लैपटाप व इंटरनेट की नहीं मिली सुविधा :
-कोरोना महामारी के कारण ओपीडी बंद होने से काउंसलरों की ड्यूटी वैक्सीनेशन में लगा दी गई है। जिन मरीजों को टीका लगता है, उनका विवरण आनलाइन पोर्टल पर दर्ज करने के लिए लैपटाप व इंटरनेट की सुविधा नहीं दी गई है। कर्मचारी को आनलाइन अपडेट करने के लिए अपने मोबाइल का इस्तेमाल करना पड़ता है।
कहीं गश खाकर गिर न जाएं बुजुर्ग :
-महराजगंज तराई क्षेत्र के कंदैला गांव निवासी 60 वर्षीय अर्जुन प्रसाद शुक्रवार को वैक्सीन लगवाने आए थे। बताया कि सुबह पौने दस बजे से लाइन लगाए हैं, लेकिन दोपहर एक बजे तक नंबर नहीं आया है। गोंडा के फरेंदा कानूनगो निवासी हरिराम मिश्र ने बताया कि चार घंटे से कतार में खड़े हैं। लाइन आगे नहीं बढ़ रही है। टेढ़ीबाजार निवासी राधेश्याम ने बताया कि सुबह नौ बजे से वैक्सीन लगवाने को परेशान हैं। चक्कर आने पर जमीन पर बैठ गए। पहलवारा निवासी राजेश कुमार गुप्त ने बताया कि बुजुर्गों के लिए कोई सुविधा नहीं है। एक बुजर्ग महिला को चक्कर आ रहा था। पंखे के नीचे बैठाने पर उसे राहत मिली। कर्मियों व संसाधनों की है कमी :
-वैक्सीनेशन के नोडल अधिकारी डा. केएम पांडेय का कहना है कि कर्मियों की कमी से काउंटर नहीं बढ़ाया गया है। पहले नगरीय स्वास्थ्य केंद्र के कर्मियों का सहयोग मिलता था, लेकिन कार्य बढ़ जाने से वहां की एएनएम व आशा भी अब नहीं आती हैं। लैपटाप, इंटरनेट सुविधा न होने से आनलाइन पोर्टल के काम में देरी होती है।