राजीव ने 19 साल से छेड़ रखी है बेटी बचाओ की मुहिम
कूड़े के ढेर में पड़ी नवजात बच्ची को देख राजीव ने छेड़ी बेटी बचाओ की मुहिम राज्यपाल दे
कूड़े के ढेर में पड़ी नवजात बच्ची को देख राजीव ने छेड़ी बेटी बचाओ की मुहिम, राज्यपाल दे चुके हैं उप्र गौरव सम्मान
श्लोक मिश्र, बलरामपुर :
'बेटी हो तो सबके सब त्योहार सुहाने लगते हैं, बेटी हो तो सावन और मधुमास सुहाने लगते हैं। बेटी पहली बारिश की सोंधी मिट्टी की खुशबू है, बेटी हो तो हम सबको घर-द्वार सुहाने लगते हैं।' यह पंक्तियां बलरामपुर चीनी मिल के प्रशासनिक अधिकारी कार्मिक राजीव अग्रवाल की पुस्तक 'मुसाफिर हूं यारों' की हैं, जिसमें उन्होंने बेटियों को लेकर न केवल काव्यकला बिखेरी है, बल्कि उनके लिए अपनी सोच व पीड़ा को भी बयां किया है। सरकार ने बेटी बचाओ-पढ़ाओ अभियान की शुरुआत तो बाद में की, जबकि इसके लिए उन्होंने 19 साल से मुहिम छेड़ रखी है। लोगों को बेटियों का महत्व बताने के साथ उनके हाथ पीले करने के लिए गरीब परिवारों की मदद भी करते हैं। इस कार्य के लिए उन्हें राज्यपाल के हाथों उत्तर प्रदेश गौरव का सम्मान भी मिल चुका है। मृत नवजात को देख हुए आहत :
मूलत: बरेली जनपद निवासी राजीव अग्रवाल की पत्नी दीपाली ने वर्ष 2000 में बेटी इशिता को जन्म दिया। बेटी पैदा होने पर राजीव को बिल्कुल खुशी नहीं हुई। बाद में दोस्तों के समझाने पर बेटियों के प्रति उनकी मानसिकता बदली। करीब चार माह बाद एक दिन मॉर्निंग वॉक के दौरान कूड़े के ढेर पर नवजात बालिका को पड़ा देखा। उसे कुत्ते नोच रहे थे। छुड़ाने का प्रयास किया, लेकिन नवजात की मौत हो चुकी थी। इस घटना से उनका मन द्रवित हो उठा और उन्होंने बेटियों को बचाना ही जीवन का मकसद बना लिया।
पत्नी को साथ लेकर छेड़ी मुहिम :
राजीव ने पत्नी दीपाली के साथ मिलकर राजदीप फाउंडेशन नामक संस्था बनाई। इसके बाद बरेली, पीलीभीत, बदायूं, शाहजहांपुर, उधमसिंहनगर समेत कई जिलों में करीब 800 बेटियों के जन्म पर दंपती पहुंचे। लोगों को बेटियों के महत्व और जरूरत के बारे में जागरूक किया। चार वर्ष पहले बलरामपुर में स्थानांतरित होने पर यहां भी मुहिम को जारी रखा। करीब 30 बेटियों के हाथ पीले करा चुके हैं, जिसका सारा पैसा अपने पास से खर्च किया है। 2016 में तत्कालीन राज्यपाल रामनाईक ने उन्हें उप्र गौरव के सम्मान से नवाजा। आश्रय स्थल बनाने की तैयारी :
राजीव अग्रवाल का कहना है कि आज भी लोग बेटियों के पैदा होने पर सड़कों पर छोड़ देते हैं। ऐसे बेटियों के के लिए आश्रय स्थल बनाने की तैयारी है। पीलीभीत जिले में एक एकड़ जमीन खरीदी है, जहां आश्रय स्थल बनाकर बेटियों का लालन-पालन कर शिक्षित बनाया जाएगा।