बेईमानी का बोलबाला, खिलाड़ियों का हजम निवाला
भूखे-प्यासे खेलने को मजबूर रहे खिलाड़ी अराजकता के विरोध का अफसरों पर नहीं असर श्लोक
भूखे-प्यासे खेलने को मजबूर रहे खिलाड़ी, अराजकता के विरोध का अफसरों पर नहीं असर
श्लोक मिश्र, बलरामपुर :
'हे सरजी, एक रोटी और थोड़य सब्जी बचाय लिया जाई। हमार भयवा सबेरे से कुछू नाय खाइस हय। पहले कहिन रहा कि इहां नाश्ता मिली, लेकिन कोई पानी तक नाय पूछय वाला है।'
यह नजारा शुक्रवार को स्पोर्ट्स स्टेडियम में हो रही जिला स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता के दौरान देखने को मिला। दोपहर के समय गैंसड़ी ब्लाक से आए खिलाड़ी पेड़ की छांव में जमीन पर बैठे एक टिफिन में साथ लाया नाश्ता बांटकर खा रहे थे। भूख-प्यास से बेहाल इन खिलाड़ियों का कोई पुरसाहाल नहीं था। वहीं जिला युवा कल्याण अधिकारी अपने मातहतों के साथ टेंट के नीचे कुर्सी पर बैठे चाय-नाश्ता कर रहे थे। जिला युवा कल्याण विभाग व प्रादेशिक विकास दल की ओर से आयोजित खेलकूद प्रतियोगिता शुरू से ही सवालों के घेरे में रही। ब्लाक स्तरीय प्रतियोगिताओं में जमकर मनमानी के बाद जिला स्तर पर भी अराजकता व बेईमानी का बोलबाला रहा। आलम यह रहा कि मैदान में बार्डर लाइन के लिए चूने का छिड़काव तक कराने में कंजूसी बरती गई। साथ ही खिलाड़ियों का निवाला भी अधिकारियों ने हजम कर लिया। खेलकूद के दौरान बड़े पैमाने पर हुई बेईमानी पर खिलाड़ी मायूस नजर आए। आपत्ति का अफसरों पर कोई असर नहीं दिखा। ..और निराश हुईं बालिकाएं :
-सदर ब्लाक की खिलाड़ी आकांक्षा ने बताया कि तीन किलोमीटर की दौड़ प्रतियोगिता हुई थी। पहले निर्देश था कि प्रत्येक ब्लाक से सिर्फ एक खिलाड़ी प्रतिभाग करेगा। फिर भी हर प्रतिस्पर्धा में एक ब्लाक से तीन-तीन खिलाड़ियों को प्रतिभाग करा दिया गया। ऐसे में एक ब्लाक की दो-दो खिलाड़ियों को मेडल मिल गया। इसका विरोध करने पर कोई सुनने को तैयार नहीं है। इसी ब्लाक की एंजेल वर्मा ने बताया कि उसे ब्लाक स्तरीय प्रतियोगिता में ऊंची कूद में प्रथम स्थान मिला था। यहां ऊंची कूद में चहेते ब्लाक की लड़कियों को पांच मौके दिए गए, जबकि उसे सिर्फ तीन मौके ही दिए गए। पहले व प्रथम स्थान पर चल रही थी, लेकिन बराबर मौका न मिलने से दूसरे ब्लाक की लड़की को प्रथम घोषित कर दिया गया।
नियमों के तहत हुई प्रतियोगिता :
-जिला युवा कल्याण अधिकारी प्रदीप कुमार त्रिपाठी का कहना है कि खेलकूद प्रतियोगिता नियमों के तहत हुई है। कोई बेईमानी नहीं हुई।