स्कूलों के सिर पर मौत का जाल, अफसरों को नहीं ख्याल
दो साल पहले विद्युत विभाग को दी गई थी 657 स्कूलों की सूची हादसे के बाद भी नहीं चेत रहे जिम्मेदार
बलरामपुर: जिले के बेसिक शिक्षा व विद्युत महकमा की कारगुजारी हमेशा सुर्खियों में रही है। स्कूलों को रोशन करने के नाम पर दोनों विभागों ने जमकर खेल किया। विद्युतीकरण के बजट को भुनाने की होड़ में अफसरों को नौनिहालों की सुरक्षा का ख्याल नहीं आया। जुगाड़ के सहारे स्कूलों को कनेक्शन दे दिया गया। इससे नौनिहालों को स्कूल खुलने के दौरान खतरा बना रहता है।
हाल ही में गौरा चौराहा थाना क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय जमुवरिया के शौचालय की छत से गुजरे हाईटेंशन तार की चपेट में आने से दो किशोरों की जान जा चुकी है। इससे पूर्व 2019 में उतरौला क्षेत्र के नयानगर विशुनपुर स्कूल में करंट लगने से 53 नौनिहालों की जान आफत में पड़ गई थी। हादसा होने पर दोनों विभाग एक-दूसरे पर दोषारोपण कर अपनी गर्दन बचाने में जुट जाते हैं। विद्यालयों में ऊपर झूल रही आफत को हटवाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है।
दो साल पहले बनी 657 स्कूलों की सूची:
15 जुलाई 2019 को उतरौला क्षेत्र के नयानगर विशुनपुर स्कूल में करंट लगने से 53 नौनिहाल झुलस गए थे। इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे प्रदेश में स्कूलों के ऊपर से गुजरने वाले हाईटेंशन तारों व परिसर में रखे ट्रांसफार्मरों को हटवाने का फरमान जारी किया था।
जिला प्रशासन के निर्देश पर बेसिक शिक्षा विभाग ने आनन-फानन में ऐसे 657 विद्यालयों को चिह्नित कर विद्युत विभाग को सूची उपलब्ध करवाई थी। दो साल बीतने को है, लेकिन लाइन शिफ्टिग नहीं हो सकी है।
यहां बनी रहती है अनहोनी की आशंका:
रेहराबाजार क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय नौवाकोल में बिजली का तार भवन पर लटक रहा है, जो कभी भी हादसे का सबब बन सकता है। प्राथमिक विद्यालय अचलपुर रूप के ऊपर हाईटेंशन तार का जाल है। तुलसीपुर शिक्षा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय साहबनगर के परिसर में डबल पोल पर ट्रांसफार्मर रखा है। परिसर में ही विद्युत खंभे लगाकर गांव को बिजली आपूर्ति की गई है।
प्राथमिक विद्यालय शांतिपुरवा परिसर में भवन से सटा विद्युत खंभा लगा है, जिस पर हाईटेंशन लाइन गांव में दौड़ाई गई है। प्राथमिक विद्यालय नचौरा परिसर के ऊपर तार निकला है। ऐसे कई विद्यालय हैं जिनके ऊपर मौत का जाल फैला हुआ है।
पहले बनती है लाइन:
अधीक्षण अभियंता ललित कुमार का कहना है कि खंभे लगाकर लाइन पहले तैयार की जाती है। इसके बाद स्कूल बनवाकर चहारदीवारी खड़ी कर दी जाती है। शिक्षा विभाग शिफ्टिंग के लिए धनराशि उपलब्ध नहीं करा रहा है।