यहां पैथोलाजी संचालकों का जाल, तीमारदार बेहाल
15 बीएलएम 026 सब हेड जिला महिला अस्पताल के वार्ड में सैंपलिग कर रहे निजी केंद्रों के कर्मी बदहाली से बढ़ रहा मरीजों का दर्द
बलरामपुर: भले ही सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा रही हो, लेकिन मरीजों को इसका लाभ महज कागजों पर ही मिल रहा है। जिला महिला अस्पताल आने वाले मरीजों को कदम-कदम पर चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मियों की जेबें गर्म करनी पड़ती हैं। आलम यह है कि पैथोलाजी होने के बावजूद खून व पेशाब की अधिकांश जांच निजी केंद्रों से करानी पड़ती है।
चिकित्सकों की साठगांठ से यहां पैथोलाजी संचालकों का जाल फैला हुआ है। मरीजों को बाहर से जांच का पर्चा थमा दिया जाता है, जिससे उनकी पीड़ा और बढ़ जाती है। खास बात यह है कि यहां संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य, अपर निदेशक व केजीएमयू टीम का दौरा होता रहता है। बावजूद इसके हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं।
नहीं होती खून की सभी जांच:
जिला महिला अस्पताल की पैथोलाजी मे 11 बजे के बाद खून की जांच नहीं की जाती है। लैब टेक्नीशियन पवन श्रीवास्तव के मुताबिक लैब में हीमोग्लोबिन, ब्लड ग्रुप, विडाल, वीडीआरएल, यूरिन, यूरिन प्रेग्नेंसी की जांच होती है। कंप्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी) व शुगर की जांच नहीं होती है। ऐसे में इन जांचों लिए मरीजों को निजी केंद्रों पर 500 से 1000 रुपये खर्च करने पड़ते हैं।
जांच के नाम पर धनउगाही:
अचलापुर निवासी विजय कुमार ने बताया कि सरकारी अस्पताल के लैब में गर्भवती की खून की जांच के नाम पर धनउगाही की जाती है। बिना पैसा लिए जांच नहीं किया जाता है। जो जांच उपलब्ध भी है, उसके लिए निजी केंद्र संचालक के कर्मी को फोन से बुलाकर सैंपल दिलाया जाता है। हरिहरगंज निवासी धर्मेद्र मिश्र ने बताया कि जांच की रिपोर्ट पाने के लिए लैब कर्मी कई बार दौड़ाते हैं।
होगी कार्रवाई :
सीएमएस डा. विनीता राय का कहना है कि जो जांच उपलब्ध हैं, वह निश्शुल्क की जाती हैं। सुविधा शुल्क लेने के बारे में जानकारी नहीं है। जांच कराकर धनउगाही करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।