विकल्प नहीं व्यवसाय बनेंगे परंपरागत रोजगार, बहेगी तरक्की की बयार
कोरोना काल में प्रवासियों की भागदौड़ से परेशान सरकार गांवों में ह
पवन मिश्र, बलरामपुर :
कोरोना काल में प्रवासियों की भागदौड़ से परेशान सरकार गांवों में ही लोगों को रोजगार देना चाह रही है। इसके लिए वह लोगों को परंपरागत रोजगार से जोड़कर उन्हें प्रशिक्षित करने में जुट गई है। अब तक इनका अंशकालिक विकल्प (कोई कार्य न होने पर समय व्यतीत करने के लिए) के रूप में इस्तेमाल होता रहा है, लेकिन अब इन्हें व्यवसायिक रूप देने की भी तैयारी है। इसमें न केवल परंपरागत व्यवसायियों को प्रशिक्षण देकर उनके हुनर को निखारा जाएगा बल्कि व्यवसाय शुरू करने के लिए जरूरी मशीनों व औजार के साथ ऋण भी दिया जाएगा। यही नहीं प्रशिक्षण अवधि में रहने व खाने की सुविधा के साथ उन्हें अर्द्धकुशल श्रमिक के रूप में छह दिनों का डेढ़ हजार रुपया प्रशिक्षण भत्ता भी दिया जाएगा।
जिला उद्योग प्रोत्साहन एवं उद्यमिता विकास केंद्र के माध्यम से 500 लोगों को प्रशिक्षण व टूलकिट वितरण का लक्ष्य शासन ने निर्धारित कर दिया है। इसे हर हाल में पूरा करना है। रामकृष्ण परमहंस विद्यालय में सिलाई सीख रही विनीता ने बताया कि सिलाई-कढ़ाई सीखने के बाद मशीन मिलने से उसे अब अपने खर्च के लिए किसी दूसरे से रुपये नहीं मांगने पड़ेंगे। इसी तरह बढ़ई, कुम्हार व हलवाई का प्रशिक्षण ले रहे अन्य रोजगारी भी काफी उत्साहित दिखे। इन्हें उम्मीद है कि वह अब स्वावलंबी बन जाएंगे।
टूलकिट से और निखरेगा हुनर:
प्रशिक्षण के बाद मिलने वाली टूलकिट में बढ़ई को रंदा, शिकंजा, हथौड़ी, इंची टेप, बसूला, ड्रिल मशीन, रेती, पटरी, गुनिया, जमूरा, पेंचकस व रुखानी, कुम्हार को इलेक्ट्रिक चाक, फावड़ा, लोहे का तसला, दर्जी को सिलाई मशीन, कैंची, प्लास, टेप, फीता, हलवाई को मिक्सर जूसर ग्राइंडर, पलटा, कढ़ाहा, भगोना, कढ़ाही, चाकू, छनौटा समेत जरूरी औजार दिए जाएंगे।
उपायुक्त उद्योग राजेश कुमार पांडेय ने बताया कि दर्जी, बढ़ई, हलवाई व कुम्हार का प्रशिक्षण 250 लोगों को देना था जो चल रहा है। अब लक्ष्य बढ़ा कर 500 कर दिया गया है। जो भी लोग प्रशिक्षण व टूलकिट लेने के इच्छुक हो वह 31 अक्टूबर तक आनलाइन आवेदन कर सकते हैं। साक्षात्कार लेकर चयनित कर लिया जाएगा।