Move to Jagran APP

कान्हा का हो साथ तो बेसहारा पशुओं से मिले निजात

बलरामपुर सरकार भले ही कितना प्रयास क्यों न करें लेकिन जिले में बेसहारा पशुओं के अ

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 09:56 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 09:56 PM (IST)
कान्हा का हो साथ तो बेसहारा पशुओं से मिले निजात
कान्हा का हो साथ तो बेसहारा पशुओं से मिले निजात

बलरामपुर :

loksabha election banner

सरकार भले ही कितना प्रयास क्यों न करें, लेकिन जिले में बेसहारा पशुओं के आतंक से निजात अभी नहीं मिलने वाली है। एक से 17 जनवरी तक चले निराश्रित गोवंश मुक्त अभियान के फ्लाप होने का बड़ा कारण यह भी रहा कि बेसहारा पशुओं को संरक्षित करने के लिए कहीं जगह ही नहीं बची है।

जिले के सदर ब्लाक की गिधरैया, पचपेड़वा में जगदीशपुर व तुलसीपुर के विशुनपुर खैरनिया में कान्हा गोशाला का निर्माणाधीन है। इनके बन जाने पर 1500 से अधिक बेसहारा पशु संरक्षित हो सकते हैं, लेकिन तीनों आधी अधूरी पड़ी है। साथ ही 45 अस्थाई गोवंश आश्रय स्थलों पर संरक्षित पशु बढ़ाने के लिए शेड निर्माण कराना होगा, जो संभव नहीं दिख रहा है।

खास बात यह भी है कि बेसहारा पशुओं को संरक्षित करना तो दूर पशुपालन विभाग तीन साल से उनकी गिनती तक नहीं करा पाया है। कारण जैसे ही पशुपालन विभाग बेसहारा पशुओं की पहचान कर उन्हें पकड़ने का अभियान चलाता है तो आस पास के लोग अपने पालतू पशुओं को संरक्षित कराने आ जाते हैं। 17 दिन के अभियान में 526 पशु संरक्षित करने का दावा :

तीन साल पहले हुई पशुगणना में जिले में बेसहारा पशुओं की संख्या करीब 10 हजार थी, लेकिन अब यह संख्या करीब 25 हजार हो गई है। कारण ग्रामीण भी पालतू पशुओं को दूध निकालने के बाद छोड़ दे रहे हैं। 17 दिन तक चले अभियान में 526 पशु संरक्षित कराने का दावा विभाग कर रहा है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. एके सिंह ने बताया कि अब तक 4134 पशु संरक्षित हो चुके हैं जो तीन साल पहले हुई 19वीं पशुगणना का आधा भी नहीं है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.