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गैंसड़ी में मतदाताओं ने 'कमल' पर अधिक बार जताया भरोसा

अमित श्रीवास्तव बलरामपुर नेपाल सीमा से सटे 292 गैंसड़ी विधानसभा को जनसंघ का गढ़ माना जा

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 10:02 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 10:02 PM (IST)
गैंसड़ी में मतदाताओं ने 'कमल' पर अधिक बार जताया भरोसा
गैंसड़ी में मतदाताओं ने 'कमल' पर अधिक बार जताया भरोसा

अमित श्रीवास्तव, बलरामपुर :

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नेपाल सीमा से सटे 292 गैंसड़ी विधानसभा को जनसंघ का गढ़ माना जाता है। पिछले चुनाव परिणामों से इसकी पुष्टि होती है। भाजपा के सामने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज कर गढ़ को बचाने की चुनौती है। अब तक यहां से प्रत्याशी की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन दावेदार गांवों में भ्रमण कर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। 2017 में भाजपा के शैलेश कुमार सिंह शैलू ने बसपा के अलाउद्दीन को हराकर पहली बार विधायक बनने का गौरव हासिल किया। इस बार के चुनाव में भी ताल ठोक रहे हैं, लेकिन पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं ने प्रत्याशी बदलने की आस में टिकट लपकने के लिए दावेदारी कर रखी है। सोहेलवा जंगल की वादियों को समेटे गैंसड़ी विधानसभा के 54 गांवों में थारू जनजाति रहती है। यहां 363703 वोटर हैं। पिछले चुनाव नतीजों पर नजर डालें तो भाजपा मतदाताओं की पसंद अधिक बार बनी है। जनसंघ, जनता पार्टी और भाजपा को मिलाकर पांच बार जनता ने विधायक चुना है। सपा व कांग्रेस को तीन तो बसपा को एक बार अवसर दिया है। सपा के पूर्व मंत्री डा. एसपी यादव पहली बार 1993 में विधायक बने। इसके बाद 2002 और 2012 में वोटरों ने भरोसा जताया। बसपा के अलाउद्दीन ने 2007 में जीत दर्ज की। 1977 से बिदूलाल को जनता पार्टी और 1991 एवं 1996 में भाजपा के टिकट पर विधायक बनने का गौरव मिला। 1974 में विजय पाल सिंह ने जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की। कांग्रेस के अकबाल हुसैन ने 1980 में जीत दर्ज की, लेकिन 1985 के चुनाव में पार्टी ने अरुण प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाकर कब्जा किया। 1989 में अकबाल हुसैन को कांग्रेस ने पुन: मौका दिया। इस तरह कांग्रेस तीन बार जीत दर्ज करने में सफल रही। विधानसभा में मतदाताओं की संख्या :

- पुरुष - 195450

- महिला - 168226

- अन्य - 27

- कुल मतदाता - 363703


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