आइसीडीएस: 246 आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण अटका, सब चल रहा कागजों पर
200 केंद्रों का नहीं हो सका हस्तांतरण अधूरे पड़े कार्य 10 नए केंद्र वर्ष 2017-18 में हुए थे स्वीकृत
बलरामपुर: नीति आयोग के आकांक्षी जिलों में शुमार होने के बाद भी यहां बच्चों में कुपोषण की समस्या कम नहीं हो रही है। वहीं, इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विसेज (आइसीडीएस) सिर्फ कागजों पर सिमट रह गई हैं। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के अफसर सुपोषण माह और वजन सप्ताह मनाकर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं, लेकिन नवनिर्मित आंगनबाड़ी केंद्र हस्तांतरित नहीं कर रहे हैं। वर्ष 2016 से जिले में 246 आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण लटका हुआ है।
प्रति केंद्र खर्च हुए आठ लाख छह हजार:
वर्ष 2016-17 में जिले में 200 आंगनबाड़ी केंद्र स्वीकृत हुए थे। प्रत्येक केंद्र के लिए आठ लाख छह हजार रुपये की धनराशि मिली थी। इसके निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण व पंचायती राज विभाग को सौंपा गया था। यह केंद्र बनने के बाद हस्तांतरण की बाट जोह रहे हैं।
वर्ष 2017-18 में 10 नए केंद्र स्वीकृत हुए। इनमें से आठ केंद्रों की छत तक का कार्य पूर्ण हो चुका है। दो की अभी दीवार ही खड़ी हो सकी है। वर्ष 2018-19 में स्वीकृत 36 आंगनबाड़ी केंद्रों के निर्माण के लिए मनरेगा से पांच लाख, पंचायती राज विभाग को एक लाख छह हजार व बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग को दो लाख रुपये मिले थे। अभी इनका निर्माण अधर में है।
सात हजार बच्चे कुपोषण के शिकार:
जिले में कुपोषण के शिकार सात हजार से अधिक बच्चे चिह्नित किए गए हैं। इन बच्चों को सेहतमंद बनाने का जिम्मा 1882 आंगनबाड़ी केंद्रों पर हैं। इनमें से अधिकांश प्राथमिक विद्यालय परिसर व किराए के कमरों में संचालित हो रहे हैं।
हस्तांतरण की चल रही प्रक्रिया:
जिला कार्यक्रम अधिकारी निहारिका विश्वकर्मा का कहना है कि नवनिर्मित भवनों के हस्तांतरण की प्रक्रिया चल रही है। अधूरे भवनों को शीघ्र पूरा कराने के निर्देश दिए गए हैं। कुछ भवनों का हस्तांतरण हो चुका है।