स्कूलों पर पर खर्च किए ढाई करोड़ फिर भी छाया अंधेरा
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श्लोक मिश्र, बलरामपुर
नीति आयोग की रैंकिग में अव्वल रहे जिले के बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। जबकि भ्रष्टाचार के चलते परिषदीय स्कूलों के नौनिहालों को ट्यूबलाइट की रोशनी व पंखे की हवा नसीब नहीं हो सकी है। लोकसभा चुनाव के दौरान 1116 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में वायरिग व उपकरण के नाम पर 2,48,68,704 रुपये खर्च किए गए। मानकों को ताख पर रख वायरिग व उपकरण लगाकर जिम्मेदारों ने मलाई काटी, लेकिन जांच नहीं हुई। वर्ष 2017-18 में 290 जूनियर हाईस्कूलों में कनेक्शन के लिए विद्युत विभाग को 20,16,950 व एसएमसी के खातों में वायरिग, उपकरण एवं एनर्जी चार्ज के लिए भेजे गए 85,22,520 रुपये कहां खर्च हुए, इसका हिसाब विभाग के पास नहीं है। जबकि कई विद्यालय आज भी बिजली से महरूम हैं।
दो मदों से मिली थी धनराशि : सर्व शिक्षा अभियान के तहत मार्च 2019 में 533 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में दो किश्तों में 1,26,25,704 रुपये भेजे गए थे। इसमें प्रति विद्यालय 17688 रुपये वायरिग व 6000 रुपये पंखे व ट्यूबलाइट के लिए दिए गए। जबकि बेसिक शिक्षा विभाग से 574 प्राथमिक स्कूलों 15 हजार वायरिग व छह हजार उपकरण की दर से 1,20,54,000 एवं नौ जूनियर हाईस्कूलों में 1,89,000 रुपये भेजे गए।
85 लाख का नहीं हिसाब : वर्ष 2017-18 में जिले के 290 उच्च प्राथमिक स्कूलों में 85,22,520 रुपये भेजे गए थे। जिसमें प्रति विद्यालय वायरिग के लिए 17,688, पंखा व ट्यूबलाइट के लिए 7,500 एवं एनर्जी चार्ज के लिए 4200 रुपये खर्च होने थे।
जिम्मेदार के बोल : प्रभारी बीएसए महेंद्र कुमार कनौजिया का कहना है कि बजट के हिसाब से स्कूलों का विद्युतीकरण कराया गया है। विद्युत उपकरणों व वायरिग के मानकों की जांच कराई जाएगी।