इंसानियत की कहानी, भूखों को भोजन-प्यासों को पानी
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बलरामपुर : इंसान की मजबूरियों को अगर अशरफ जैसे लोग समझ लें तो कोई भूखा नहीं मरेगा। यानी भूखों को भोजन और प्यासों को पानी। उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के अशरफ ऐसा कर इंसानियत की कहानी लिख रहे हैं। पीएम की अपील और देश की संस्कृति उनके लिए सबक बन गई है।
प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन के दौरान गरीबों के भोजन-पानी की चिंता की और समर्थवान लोगों से नौ परिवारों का नवरात्र में खाना खिलाने की अपील की तो बात अशरफ के दिल को छू गई। उन्होंने नौ परिवारों को चिह्नित किया और उनके 30 सदस्यों का भोजन मुहैया कराने का बीड़ा उठा लिया। शहर के नौशहरा मोहल्ला निवासी और किराना दुकानदार अशरफ अली लॉकडाउन के नियमों का पालन करने के साथ ही जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं। वह अलीजान मोहल्ले के हाकिम, नबी मोहम्मद, रिकू, मरजीना समेत नौ परिवारों को निश्शुल्क भोजन करा रहे हैं। उन्होंने यह पहल सिर्फ नौ दिन के लिए नहीं, बल्कि लॉकडाउन तक यानी 21 दिनों के लिए की है। अपने घर पर वह साबुन से सबका हाथ धुलाते हैं फिर एक-एक मीटर की दूरी पर बैठाकर 30 लोगों को कायदे से भोजन कराते हैं।
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राहगीरों की मदद को भी बढ़ाया हाथ
हरैया थाना क्षेत्र के देवपुरा गांव के श्रमिक भूरे, पवन व संतोष कानपुर में दिहाड़ी मजदूरी करते थे। परिवहन सेवाएं बंद होने पर तीनों बलरामपुर के लिए पैदल ही निकल पड़े। शुक्रवार को जब तीनों नगर के भगवतीगंज पहुंचे, तो चलने में बेहाल थे। पांव में छाले पड़ गए थे। अशरफ ने उनकी यह हालत देखी, तो उसका दिल पसीज किया। वह भगवतीगंज से नौशहरा स्थित अपनी दुकान तक उनके पीछे आए। फिर उन्हें रोककर हाथ धुलवाया और अपने घर से भोजन की व्यवस्था की। गांव पहुंचने तक रास्ते में खाने-पीने की समस्या न हो, इसके लिए फल आदि खरीद कर दिए।