एक पीठासीन अधिकारी के पास चार राजस्व न्यायालय का प्रभार
शरद वर्मा, बलरामपुर : राजस्व न्यायालयों में पीठासीन अधिकारियों की कमी से मामलों का निस्तारण समय से नहीं हो पा रहा है। राजस्व अदालतों पर पत्रावलियों के बढ़ते बोझ को देखते हुए उपजिलाधिकारी सदर ने तहसीलदार को तीन अदालतों का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। तहसीलदार के पास अपर तहसीलदार, नायब तहसीलदार पूर्वी व पश्चिमी एवं तहसीलदार की अदालत पर सुनवाई का जिम्मा दिया गया है। एक पीठासीन अधिकारी को चार अदालतों की पत्रावलियों की सुनवाई एक साथ करना संभव नहीं है। चारों अदालतों पर करीब दो हजार वाद लंबित हैं।
राजस्व न्यायालयों पर जमीन से जुड़े मामलों की सुनवाई होती है। इसमें नामांतरण, सीमा चिन्हांकन, वरासत व खतौनी की पत्रावली अधिक रहती हैं। इनका निस्तारण समय से नहीं हो पा रहा है। तहसील आए चांद अली ने बताया कि पिता की मृत्यु के बाद वरासत की प्रक्रिया पूरी हो गई, लेकिन खतौनी में अंकित नहीं हो सकी है। जमीन का रकबा भी कम कर दिया गया है। अभिलेख दुरुस्त होना है। इसी तरह नामांतरण के ऐसे कई मामले विचाराधीन हैं जिसमें किसी भी प्रकार का विवाद नहीं है। पीठासीन अधिकारी के न होने के कारण प्रकरण निस्तारित नहीं हो पा रहा है। कलेक्ट्रेट बार संघ के महामंत्री अशोक मिश्र का कहना है कि पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में कई बार उच्चाधिकारियों को मांग पत्र दिया गया है। पेशकार तहसीलदार पवन कुमार ने बताया कि चारों अदालतों पर लगभग 2,000 पत्रावलियां होंगी। तहसीलदार के बैठने की समय सारणी अभी तय नहीं की गई है।
उपजिलाधिकारी सदर राजेंद्र बहादुर ने बताया कि वादकारियों की समस्याओं एवं कार्य सरकार हित में नायब तहसीलदार की तीनों अदालतों के न्यायिक कार्यों के संपादन के लिए तहसीलदार को नामित किया गया है। अपनी अदालत के साथ तीनों का अतिरिक्त प्रभार देखेंगे।