..और एमडीआर हो गए 50 टीबी मरीज !
बलरामपुर : जिला क्षय रोग अस्पताल में तैनात चिकित्सकों की उदासीनता अब मरीजों के लिए मुसीबत बन
बलरामपुर : जिला क्षय रोग अस्पताल में तैनात चिकित्सकों की उदासीनता अब मरीजों के लिए मुसीबत बनने लगी है। जिम्मेदार प्रशासन द्वारा टीबी मरीजों का मुफ्त इलाज करने की मंशा पर भी पानी फेर रहे हैं। अधिकारियों की लापरवाही से जिले में 25 दिनों से स्टेप्टोमाइसिन का इंजेक्शन ही नहीं है। ऐसे में द्वितीय श्रेणी की दवा ले रहे 50 टीबी मरीजों की बीमारी बढ़ कर (मल्टी ड्रग रजिस्टेंस-एमडीआर) हो गई है। टीबी मरीजों पर पहले चरण (बेस लाइन) की दवा बेअसर होने पर चिकित्सक उन्हें द्वितीय श्रेणी की दवा देते हैं। जिसमें उन्हें पहले 56 दिनों तक नियमित स्टेप्टोमाइसिन का इंजेक्शन लगता है। इस बीच एक भी इंजेक्शन छूटने पर मरीज पर वह दवा असर हो जाती है। क्षय रोगी एमडीआर की श्रेणी में चला जाता है। जिले में द्वितीय क्षेणी की दवा ले रहे टीबी रोगियों के साथ भी यही हो रहा है। जिले के किसी भी अस्पताल में स्टेप्टोमाइसिन सुई है ही नहीं। मरीज बिना इजेक्शन लगवाए ही वापस लौट रहे हैं। 25 दिनों से नहीं है इंजेक्शन- जिला क्षय रोग अस्पताल में तैनात एक कर्मचारी की मानें तो जिला स्तरीय अस्पताल में अक्टूबर के पहले सप्ताह से ही सुई उपलब्ध नहीं है। प्रतिदिन औसतन दो से तीन टीबी मरीजों को बिना स्टेप्टोमाइसिन लगवाए ही वापस लौटना पड़ता है। जिससे वह एमडीआर हो रहे हैं। नहीं किया लोकल पर्चेज
- उप्र के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक प्रभाकर ¨सह ने 18 अक्टूबर को दिए निर्देश में कहा है कि जिन जनपदों में स्टेप्टोमाइसिन नहीं है। वहां के चिकित्सक 20 हजार तक का इंजेक्शन लोकल पर्चेज कर लें। जिससे मरीजों का उपचार प्रभावित न हो, लेकिन क्षय रोग अस्पताल के अधिकारियों कर उनके आदेश को भी दरकिनार कर दिया। सीएमओ को नहीं दी सूचना
टीबी अस्पताल के चिकित्सक व लिपिक ने स्टेप्टोमाइसिन समाप्त होने के 25 दिन बाद भी इसकी सूचना सीएमओ को नहीं दी। वह बिना इंजेक्शन के ही मरीजों का उपचार कतरे रहे।
जारी किया आदेश
सीएमओ डॉ. घनश्याम ¨सह का कहना है कि मीडिया से इंजेक्शन उपलब्ध न होने की सूचना मिलते ही लोकल पर्चेज का आदेश जारी कर दिया गया है। डीटीओ से पूछताछ की जाएगी।