विभीषण ने बताया भेद, राम ने रावण का किया वध
--------------- जागरण संवाददाता गड़वार (बलिया) कस्बा के रामलीला मंच पर मंगलवार की रात
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जागरण संवाददाता, गड़वार (बलिया) : कस्बा के रामलीला मंच पर मंगलवार की रात विशेष नजारा दिख रहा था। एक ओर राम अपनी सेना के साथ खड़े थे तो दूसरी ओर रावण सबकुछ गंवाने के बाद भी बलवान की तरह युद्ध के मैदान में डटे थे। राम बाण चलाए जा रहे थे, लेकिन रावण पर उसका कोई असर नहीं हो रहा था। यह देख राम सहित उनकी पूरी सेना चितित हो जाती है। तभी विभीषण आगे बढ़ते हैं और अपने भाई रावण की मृत्यु का भेद बताते हैं। विभीषण कहते हैं..रावण की नाभि में अमृत है। नाभि पर तीर से प्रहार करेंगे तभी उनका वध संभव है। उसके बाद राम सीधे रावण की नाभि पर तीर से प्रहार करते हैं और रावण वहीं धराशायी हो जाता है। यह देख नीचे बैठी दर्शकों की भीड़ जय श्रीराम का जयकारा लगाने लगती है। पंडाल जय श्रीराम के जयकारे से गूंज उठता है। दर्शकों में शामिल महिलाएं अपने स्थान से ही भगवान राम को प्रणाम करने लगती हैं। पूरा माहौल भक्तिमय सरोवर में नहाने लगता है। रामलीला देर रात तक चलती है। राम के राज्याभिषेक संग रामलीला पूर्ण हो जाती है।
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मेघनाथ की मौत के बाद छाया सन्नाटा
पहले कुम्भकर्ण वध, सुलोचना विलाप, अहिरावण वध का भी मंचन किया जाता है। दर्शकों में उस वक्त सन्नाटा छा जाता है जब मेघनाथ का वध होता है और इसकी सूचना उनकी पत्नी सुलोचना को एक दासी देती है। वह मेघनाथ का आभूषण युक्त भुजा देख पहचान लेतीं हैं। पति वियोग में सुलोचना का विलाप से कई दर्शक भी द्रवित हो जाते हैं। पति के शीश को गोद में रखकर उनके पराक्रम का बखान करते हुए सुलोचना भी सती हो जाती है।
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व्यासपीठ से उठती रहीं रामायण की चौपाइयां
व्यासपीठ पर बैठे मोती पटेल रामायण की चौपाइयां सुनाते रहे। श्रद्धालु दर्शक हर ²श्य पर तालियां बजाकर कलाकारों का उत्साह बढ़ा रहे थे। रामलीला की शुरुआत धनशेर वर्मा ने दीप प्रज्वलित कर किया। सभी कलाकारों का अभिनय सराहनीय रहा। संचालन मोहन सिंह व समिति के अध्यक्ष अमित कुमार सिंह, राकेश सिंह, राधामोहन गुप्ता व्यवस्था की कमान संभाले रहे।