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शुद्ध वायु के लिए पेड़-पौधे जरूरी, फिर भी लापरवाही

जागरण संवाददाता, सिकंदरपुर (बलिया) : स्वस्थ जीवन के लिए घर-बाहर की स्वच्छता के साथ ही स्वच्छ

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Jun 2018 09:53 PM (IST)Updated: Wed, 27 Jun 2018 09:53 PM (IST)
शुद्ध वायु के लिए पेड़-पौधे जरूरी, फिर भी लापरवाही
शुद्ध वायु के लिए पेड़-पौधे जरूरी, फिर भी लापरवाही

जागरण संवाददाता, सिकंदरपुर (बलिया) : स्वस्थ जीवन के लिए घर-बाहर की स्वच्छता के साथ ही स्वच्छ वातावरण जरूरी है। शुद्ध वायु के लिए हम पेड़ पौधों पर आश्रित हैं। यही पेड़ पौधे वातावरण में घुले दूषित हवा का शोषण कर हमें स्वच्छ वायु प्रदान करते हैं, इसी लिए इन्हें जीवनदाता कहा जाता है। यदि पेड़ पौधे दूषित वायु को शोषित न करें तो धरती के जीवधारियों का जीवन संकट में पड़ जाएगा। अफसोस यह कि पेड़ पौधों की इस महत्ता से अवगत होते हुए भी हम उनकी रक्षा के प्रति न केवल उदासीन हैं बल्कि उन्हें नष्ट करते जा रहे हैं। उसी का फल तेजी से बढ़ता जा रहा प्रदूषण है। साथ ही तरह तरह की बीमारियों का प्रसार व हमारा रोगग्रस्त होना है। प्रदूषण को भगाने और वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए आज आवश्यक है कि हम अधिकाधिक पौधे लगा कर वृक्ष बनने तक उनकी समुचित देख भाल करें। एक बीघा में लगा बगीचा दे रहा फल

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क्षेत्र के बहेरी गांव के किसान श्याम लाल यादव जो वातावरणीय स्वच्छता के प्रति हमेशा से गंभीर रहे हैं। उसी का फल है कि नौ वर्ष पूर्व उन्होंने अपने एक बीघा क्षेत्रफल के चक में करीब चार दर्जन पौधों का रोपण कर दिया। इनमें आम, अमरूद, आंवला, कटहल, शीशम आदि के पौधे थे। मवेशियों से रक्षा की उचित व्यवस्था और समुचित देखभाल, समय से पानी एवं खाद देते रहने से आज रोपित पौधे पेड़ बन कर एक सुन्दर बाग का रूप धारण कर लिया है। उनका यह बाग जहां पर्यावरण को संरक्षित करने में सहायक बना हुआ है। वहीं सभी फलदार वृक्ष फल देने लगे हैं। इससे आम अमरूद कटहल व आंवला उन्हें बाजार से नहीं खरीदना पड़ता है। पर्यावरण संरक्षण का नजीर बना उनका यह बा़ग वहां से गुजरने वालों को संदेश देता है कि तुम भी बगीचा व पेड़ लगा कर पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने में सहायक बनो।

अब लगता है मैं सुकून में हूं

श्यामलाल यादव ने बताया कि मैं शुरू से ही स्वच्छता के प्रति सजग रहा हूं। अखबारों में प्रदूषण के बढ़ते खतरे के बारे पढ़ कर मैंने उसे भगाने की सोच रखकर इस बाग को लगाया। अब लगता है कि मैं सुकून में हूं।


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