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काला आलू से पौष्टिक होगी किसानों की तकदीर

आप काला आलू से बना व्यंजन खाना चाहते हैं लेकिन आपको यह बाजार में आस

By JagranEdited By: Published: Wed, 28 Apr 2021 08:35 PM (IST)Updated: Wed, 28 Apr 2021 08:35 PM (IST)
काला आलू से पौष्टिक होगी किसानों की तकदीर
काला आलू से पौष्टिक होगी किसानों की तकदीर

संग्राम सिंह, बलिया आप काला आलू से बना व्यंजन खाना चाहते हैं, लेकिन आपको यह बाजार में आसानी से नहीं मिलता। इस बार ठंड के सीजन में यह बलिया में भी मिलना शुरू हो जाएगा। संभव है कि इसे दूसरे जिलों में भी भेजा जा सके। अभी तक उत्तराखंड में ही यह प्रजाति मिलती है, लेकिन अब उत्पादन बलिया में होने लगा है। प्रगतिशील किसानों में शुमार दौलतपुर के संतोष सिंह ने दो बिस्वा खेत में काला आलू की गजब की पैदावार की है। उन्होंने अक्टूबर 2020 में 50 किलोग्राम बीज बोया था, यहां से करीब तीन क्विंटल पैदावार हुई है। प्रयोग के तौर पर जो भी उत्पादन हुआ, उन्होंने उसे बाजार में नहीं बेचा। बल्कि कोल्ड स्टोरेज में रख दिया है।

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संतोष सिंह ने बताया कि इससे बीज तैयार किया जा रहा है ताकि दूसरे किसानों को अपने साथ जोड़कर इसे विस्तार दिया जा सके। 20 किसानों ने उनसे बीज लेकर काला आलू का उत्पादन करने का मन बना लिया है। गांव के लल्लन सिंह, रामबहादुर सिंह, अभय नारायण सिंह, अनिल सिंह व सुरही के लल्लन राय समेत कई किसानों ने बीज मांगा है। बकौल संतोष, पिछले दिनों उन्होंने कृषि विभाग द्वारा आयोजित प्रदर्शनी में भी हिस्सा लिया। बेहतर उत्पादन के लिए ही उन्हें पुरस्कृत भी किया गया। यह बीज उन्होंने उत्तराखंड से मंगाया था। बाजार से 10 रुपये महंगा, लेकिन है गुणों से भरपूर

अभी किसान सफेद और लाल आलू का उत्पादन करते हैं। यही खेती जिले में हो रही है। काला आलू दोनों प्रजातियों से प्रति किलो करीब 10 रुपये महंगा है। लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए अधिक लाभदायक है। पहाड़ों में लोग इसका खूब सेवन करते हैं। अब इस प्रजाति को जिले में विस्तार देने की तैयारी है। कर चुके हैं काला धान व काला चना की सफल खेती

सालों पहले उन्हें इंटरनेट से काला धान की जानकारी हुई तो एक एकड़ में उसकी खेती की। अच्छी आमदनी हुई, वह काला गेहूं व काला चना की भी अच्छी खेती पहले से कर रहे हैं। बताया कि काला आलू की पैदावार लाल या सफेद आलू से अच्छी हुई है। इन प्रजातियों की तुलना में इसका बीज महंगा है।

काले आलू के ये फायदे

काला आलू में वसा नहीं होता बल्कि यह रक्त की कमी को पूरा करता है। शरीर में मोटापा कम करता है। 40 फीसद आयरन होता है। विटामिन बी-6 और फ्लोरिक एसिड भी मिलता है। यह हीमोग्लोबिन भी बढ़ाता है। यह गर्भवती महिलाओं के लिए सर्वाधिक फायदेमंद है।

काला आलू में गुणवत्ता अधिक होती है। आयरन की मात्रा अधिक होने से रंग काला होता है। बलिया में काला आलू का उत्पादन आराम से हो सकता है। जिले का तापमान इस प्रजाति के लिये एकदम अनुकूल है। ठंड में दिन में 18 से 25 डिग्री जबकि रात में 9 से 14 डिग्री तापमान में कंद बनना शुरू हो जाता है। इतना तापमान बलिया में आराम से मिल जाता है। --- डा. वेद प्रकाश सिंह, प्रबंधक, कृषि विज्ञान केंद्र सोहांव


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