आग की बड़ी घटनाओं पर मुंह ताकते रह जाएगा विभाग
जागरण संवाददाता, बलिया : दो बड़ी नदियों गंगा व घाघरा के बीच बसे इस जनपद में हर साल आग व ब
जागरण संवाददाता, बलिया : दो बड़ी नदियों गंगा व घाघरा के बीच बसे इस जनपद में हर साल आग व बाढ़ से भारी तबाही होती है। इसमें करोड़ों का नुकसान होता है। सबसे अधिक नुकसान किसानों को होता है, जब उनकी गाढ़ी कमाई पल भर में राख हो जाती है। यहां पर सबसे अधिक शार्ट सर्किट से फसलों में आग लगती है। अब गेहूं की फसल सूखने के कगार है। वहीं तेज पछुवा हवा भी चल रही है। ऐसे में आग लगने की आशंका भी बढ़ जाती हैं। जर्जर व लटके तारों में स्पार्किंग ही फसलों में अगलगी का बड़ा कारण होता है, लेकिन दुर्भाग्यवश अगलगी से बचाव के लिए कोई खास उपाय नहीं किए जाने से किसान की गाढ़ी कमाई उनकी आंखों के सामने ही राख हो जाती है। आग बुझाने के लिए फायर सर्विस में संसाधन तो हैं लेकिन मैनपॉवर के अभाव में वह भी नाकाफी ही है। कुल मिलाकर जिले में अगलगी से बचाव भगवान भरोसे ही है।
तीन चालकों के भरोसे 10 गाड़ियां
आग पर काबू पाने वाले अग्निशमन विभाग में हालात हैं कि यहां तीन चालकों के भरोसे 10 गाड़ियां हैं। बलिया में 6 बड़ी गाड़ी व 4 छोटी गाड़ी उपलब्ध है, लेकिन वाहन चालक मात्र तीन हैं। ऐसे में इन तीन चालकों के भरोसे आखिर पूरे जिले को कैसे कवर किया जा सकता है। इसमें से एक चालक को मुख्य अग्निशमन अधिकारी की भी सरकारी गाड़ी चलानी है। फायर स्टेशन बांसडीह में तैनात चालक का भी प्रमोशन होने ही वाला है। इस स्थिति से मुख्यालय को भी अवगत कराया गया है, लेकिन वहां से भी कोई खास कार्रवाई नहीं हो रही है।
छह तहसील, तीन फायर स्टेशन
जिले की मात्र तीन तहसीलों बांसडीह, रसड़ा व सदर में फायर स्टेशन संचालित हैं। बैरिया तहसील में भवन का निर्माण करीब पूरा हो चुका है, लेकिन वह अभी हैंडओवर नहीं हुआ है। बाकी दो तहसील बिल्थरारोड व सिकंदरपुर में फायर स्टेशन के लिए सिर्फ जमीन चिह्नित करने का काम हुआ है। इसमें सदर तहसील के सुदूर इलाके गड़हांचल में अगलगी से हर साल काफी ज्यादा नुकसान किसानों को झेलना पड़ता है। नुकसान के बाद ही गड़हांचल की तरफ फायर सब स्टेशन की मांग होती है और अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों द्वारा घोषणा भी कर दी जाती है, लेकिन स्थिति सामान्य हो जाने के बाद सब भूल जाते हैं।
तीन साल में भी नहीं तैयार हुआ फायर सब स्टेशन
बैरिया : पिछले तीन सालों से कच्छप गति से बन रहे बैरिया फायर स्टेशन के भवन का निर्माण कार्य लगता है इस वर्ष भी पूरा नहीं हो पाएगा। पिछले वर्ष ही इसका निर्माण कार्य पूरा कर उसे अग्निशमन विभाग को सौंपने का निर्देश था ¨कतु कार्यदायी संस्था द्वारा अभी तक कार्य पूरा नहीं कराया जा सका है। कार्य स्थल पर पहुंचने पर कभी एक मजदूर काम करते मिलता है तो कभी दो मजदूर। कार्यदायी संस्था का कोई भी कर्मचारी या अधिकारी मौके पर मौजूद नहीं रहता। यह फायर स्टेशन कब तक बनकर तैयार होगा, यह पूछने पर यहां काम करने वाले मजदूर कहते हैं कि यह तो साहब लोग ही बता सकते हैं। लोगों का कहना है कि सरकार बदलने के बाद भी यहां की कार्यप्रणाली नहीं बदली है। जिस गति से सपा के शासन काल में काम हो रहा था उसी गति से आज भी हो रहा है। लोग चाहते हैं कि सांसद व विधायक हस्तक्षेप कर इस अग्निशमन केंद्र का निर्माण कार्य मार्च से पहले पूरा करा दें। जिससे अगलगी की घटनाओं में उसकी उपयोगिता सिद्ध हो सके। खेतों के ऊपर से गुजरे ढीले तार खतरनाक
खेतों के ऊपर गुजरे अधिकांश तार ढीले हैं। इनकी टकराहट से निकली ¨चगारी पल भर ही आग का शोला बन जाती है। देखते ही देखते कई एकड़ की फसल पल भर में राख हो जाती है। जब तक लोग आग को बुझाने का प्रयास करते तब तक किसानों की गाढ़ी कमाई राख हो जाती है। जिस दिशा में हवा होती है उसी क्षेत्र में आग फैलती है। इससे एक के बाद एक खेत में आग फैल जाती है। बुझाते समय उड़ती ¨चगारी भी अगल-बगल के खेतों में आग लगने का कारण बनती है। यह देख किसान अपनी किस्मत पर रोता है। इस तरह की घटना के समय किसान केवल इधर से उधर छटपटा कर रह जाता है। सूचना पर फायर ब्रिगेड के जवानों को भी पहुंचने में काफी समय लग जाता है। तालाब भी पड़े सूखे
जनपद के अंदर अधिकांश तालाब सूख गए हैं। पानी नहीं होने से सबसे अधिक दिक्कत चरवाहों को हो रही है। जिन तालाबों में पानी है उनमें गंदगी पटी पड़ी है। आग लगने पर तालाब में भी पानी मिलना काफी मुश्किल है। इस पर प्रशासन का भी ध्यान नहीं है। इस समय तो कम से इन तालाबों में पानी भरवा देना चाहिए। इससे कम से आग बुझाते समय पानी की कमी की पूर्ति हो जाएगी। कराया जा रहा मरम्मत कार्य : अधीक्षण अभियंता
बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता एके श्रीवास्तव ने बताया कि ढीले व लटके तारों को दुरूस्त करने के लिए सभी अधिशासी अभियंता व अवर अभियंताओं को कड़े निर्देश दिए गए हैं। तेज हवा के कारण तार आपस में टकराते हैं तभी स्पार्किंग से अगलगी की घटनाएं हो जाती हैं। इसलिए जहां ऐसी शिकायत आ रही है उसे तत्काल ठीक कराया जा रहा है। अधीक्षण अभियंता ने लोगों से भी अपील की है कि जहां भी लटके तार हैं उसके बारे में सब स्टेशन या अधिशासी अभियंता या जेई को फोन से भी अवगत करा सकते हैं। इससे उसे तत्काल ठीक कराया जा सके। वर्जन--
अगलगी की घटनाओं की सूचना मिलने पर जल्द से जल्द राहत कार्य शुरू करने की हर संभव कोशिश की जाती है। गर्मी के मौसम में इसको लेकर विशेष एहतियात बरता जाता है। कभी-कभी झूठी सूचना पर हलकान भी होना पड़ता है। चालकों की कमी जल्द दूर की जाएगी।--
--तबारक हुसैन, मुख्य अग्निशमन अधिकारी फसलों में लगे आग तो क्या करें
बचाव के उपाय--
-फसल में जहां तक आग लगी है उससे कुछ दूरी पर ट्रैक्टर से लंबाई में जोताई करा दें। कम से कम दो-तीन बार ट्रैक्टर घूम जाने से आग व फसल की दूरी बढ़ जाएगी। इससे बाकी फसलों को बचाया जा सकता है। हर गांव में ट्रैक्टर उपलब्ध है। ऐसे में फिलहाल यही सबसे कारगर उपाय साबित हो सकता है।
-बिजली स्पार्किंग से लगी आग पर पानी फेंकने से करेंट से जनहानि का खतरा हो सकता है। धूल, मिट्टी आदि का प्रयोग कर सकते हैं।
-आग लगने की स्थिति में सबसे पहले बिजली विभाग के अधिकारियों को सूचित कर तत्काल बिजली कटवाएं।
-साथ ही थाने पर या अन्य प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों को फोन कर बताएं, ताकि तत्काल बचाव कार्य शुरू हो सके।