आलू पर पाला का खतरा, मौसम ने बढ़ाई चिता
जागरण संवाददाता बलिया जिले में चार दिनों से मौसम में काफी परिवर्तन हो चुका है। न्यूनतम पार
जागरण संवाददाता, बलिया : जिले में चार दिनों से मौसम में काफी परिवर्तन हो चुका है। न्यूनतम पारा सात डिग्री सेल्सियस पर चल रहा है। धूप निकलने भी बंद हा गए हैं। ऐसे मौसम में आलू की फसल को पाला का खतरा है। इस साल जिले में 8621 हेक्टेयर में आलू की खेती हुई है। किसान पाला से बचाने के लिए देसी इंतजाम कर रहे हैं, लेकिन वह पर्याप्त नहीं है। कृषि विज्ञानिक रवि प्रकाश मौर्य ने बताया कि ऐसे मौसम में आलू की खेती किए किसानों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। कम तापमान होने पर पौधे की बाहर और अंदर की कोशिकाओं में बर्फ जम जाती है। पत्ते नष्ट हो जाते हैं। पाला से फसल को बचाने के लिए खेत में हल्की सिचाई करते रहनी चाहिए। यह पाला तब पड़ता है, जब ठंडी हवाएं चलती हैं। ऐसी हवा की परत एक-डेढ़ किलोमीटर तक हो सकती है। यह पाला आसमान खुला हो या बादल हों, दोनों परिस्थितियों में गिर सकता है। पौधों को पाला से बचाने के लिए किसान खेतों में नमी बनाए रखें। पौधों के ऊपर छप्पर या फिर पाली हाउस बना दें। इससे काफी हद तक फसल को पाले से राहत मिलती है।
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डायथेन एम 45 का किसान करें छिड़काव : कृषि प्रतिरक्षा अधिकारी प्रियनंदा ने बताया कि आलू की फसल के लिए यह ठंड काफी नुकसानदायक है। हवाओं के साथ पाला भी पड़ना शुरू हो चुका है, जिससे आलू की फसल पर खतरा मंडराने लगा है। आलू की फसल में झुलसा रोग लगना भी शुरू हो चुका है, झुलसा रोग लगने से आलू की फसल लगाने वाले किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। किसान मेंकोजेब या डायथेन एम 45 दवा 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से तुरंत छिड़काव करें। इससे पाला का खतरा कम हो जाएगा। इसके अलावा किसान खेत के चारों कोने में अलाव जलाकर धुआं करें तो भी पाला का असर नहीं होता है।
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बोले किसान :
आलू की पैदावार अच्छी होने की उम्मीद
: इस साल आलू की फसल अच्छी है, लेकिन चार दिनों से मौसम को देखते हुए चिता बढ़ गई है। ऐसे मौसम में आलू के पौधों में झुलसा रोग पकड़ लेता है। मौसम ठीक रहा तो पैदावार अच्छी होने की उम्मीद है।
-त्रिवेणी सिंह
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हर साल आलू की खेती करता हूं। इस बार फसल अच्छी है। पाला से बचाने के लिए उपाय किया जा रहा है, लेकिन लगातार ऐसा ही मौसम लंबे समय तक रहा तो फसल के नुकसान हो सकता है।
-हरेकृष्ण चौरसिया
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आलू की फसल अच्छी है, लेकिन अपने यहां भंडारण की व्यवस्था ठीक नहीं है। झुलस रोग से फसल को बचाने के लिए कई तरह के उपाय किए जा रहे हैं। कृषि वैज्ञानिकों से भी राय ली जा रही है।
-सुधाकर तिवारी
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आलू की फसल को पाला से बचाने के लिए प्रतिदिन खेत में अलाव जलाता हूं। उसके धुआं से पौधों को पाला का खतरा कम होता है। इसके अलावा दवा का छिड़काव भी किया जा रहा है।
-सतीश सिंह
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भंडारण की होगी व्यवस्था
: जनपद में 14 कोल्ड स्टोरेज में 103640 टन आलू के भंडारण की व्यवस्था है। पिछले दो वषों में जिले में आलू का उत्पादन लगभग 80 हजार टन हुआ था। इस साल भी यही अनुमान है। किसानों को हम भंडारण की व्यवस्था देंगे। सरकार की ओर से पिछले साल जो किसान 200 किमी दूर जाकर आलू की बिक्री करना चाहते थे उन्हें कृषि निर्यात नीति के तहत किराए में 33 फीसद की सब्सिडी दी जाती थी। इस साल के लिए अभी कोई निर्देश नहीं आया है।
- नेपाल राम, जिला उद्यान अधिकारी।