आज रात से खत्म होंगे ग्राम प्रधानों के अधिकार
जागरण संवाददाता बलिया ग्राम प्रधानों के अधिकार 25 दिसंबर-शुक्रवार की रात से खत्म हो जाएंग
जागरण संवाददाता, बलिया : ग्राम प्रधानों के अधिकार 25 दिसंबर-शुक्रवार की रात से खत्म हो जाएंगे। इस बाबत पंचायती राज निदेशक का पत्र पहुंचते ही प्रशासनिक सक्रियता तेज हो गई है। पत्र के आलोक में प्रशासन ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं।
ग्राम पंचायतों में पंचम राज्य वित्त आयोग एवं पंद्रहवें वित्त आयोग में ग्राम प्रधानों के डीएससी रजिस्ट्रेशन (वित्तीय अधिकार ) को अन रजिस्टर्ड करने का आदेश है। इसे लेकर प्रशासनिक स्तर की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस संबंध में समस्त जिलाधिकारियों को पंचायती राज निदेशक किजल सिंह की ओर से जारी पत्र प्राप्त हो चुका है। इस पत्र के आदेशानुसार 25 दिसंबर की रात 12 बजे के बाद प्रधानों के समस्त वित्तीय अधिकार समाप्त कर दिए जाएंगे।
पंचायती राज निदेशक के पत्र के आदेशानुसार ग्राम पंचायतों में ई-ग्राम स्वराज-पीएफएमएस एकीकृत प्रणाली लागू होगी। इसके माध्यम से व्यय उपभोग के लिए चेकर के रूप में अधिकृत किए गए ग्राम प्रधानों को उनके कार्यकाल की समाप्ति पर 25 दिसंबर को पूरी तरह सिस्टम पर अनाधिकृत कर दिया जाएगा। इसके साथ ही उनके रजिस्ट्रेशन समाप्त हो जाएंगे। इस क्रम में स्पष्ट आदेश जारी किए गए हैं कि किसी भी दशा में प्रधानों द्वारा 25 दिसंबर के बाद चेकर के रूप में कोई भी भुगतान न किया जाए।
पत्र में कहा गया है कि समस्त ग्राम पंचायतों की डीएससी को रात 12 बजे अनरजिस्टर्ड कर दिया जाए। इसकी जिम्मेदारी प्रत्येक ब्लाक के एडीओ पंचायत को दी गई है। वे स्वयं अपनी देखरेख में उक्त डीएससी को अनरजिस्टर्ड कराना सुनिश्चित करेंगे। ग्राम पंचायत की डीएससी का निरस्त्रीकरण पीएफएमएस प्रणाली पर मंजूर होगा। इसके बाद ही डीएससी अनरजिस्टर्ड मानी जाएगी। इसके उपरांत शासन की ओर से नामित चेकर की डीएससी रजिस्टर की जा सकती है। शासनादेश में स्पष्ट किया गया है कि यदि 25 दिसंबर के उपरांत ई ग्राम स्वराज पोर्टल पर ग्राम प्रधान की ओर से कोई भी एफटीओ मंजूर किया जाता है तो इसके लिए संबंधित ग्राम पंचायत सचिव एडीओ पंचायत व जिला पंचायत राज अधिकारी व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे। शासनादेश के प्रभावी होने को लेकर शुरू की गई अधिकारियों की तैयारियों ने जहां एक तरफ पंचायतों के बाकी बचे कामों के निबपटारे में काफी तेजी ला दी है, वहीं अब तक प्रधानों के साथ पूरी तरह जुगलबंदी में जुटे पंचायत सचिव भी खुद प्रधानों से दूरी बनाने में जुटे हैं। फिलहाल ग्राम प्रधानों का कार्यकाल अपने अंतिम पड़ाव पर है और व्यवस्था इसकी साक्षी बनने को आतुर है।