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जिम्मेदारों की लापरवाही की सजा भुगत रहे बेजुबान

सूबे के मुखिया योगी आदित्य नाथ निराश्रित पशुओं के खान-पान और सुरक्षा के लिए भले ही सख्त रुख अख्तियार किए हों लेकिन जिले के अधिकारियों पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। बेसहरा पशुओं के रख-रखाव पर करोड़ो रुपये खर्च करने के बाद भी वे बेचारा बने हुए हैं। इन पशुओं के लिए न तो रहने खाने की माकूल व्यवस्था है

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Jul 2019 01:10 AM (IST)Updated: Wed, 17 Jul 2019 06:24 AM (IST)
जिम्मेदारों की लापरवाही की सजा भुगत रहे बेजुबान
जिम्मेदारों की लापरवाही की सजा भुगत रहे बेजुबान

जागरण संवाददाता, बलिया : सूबे के मुखिया योगी आदित्य नाथ निराश्रित पशुओं के खान-पान और सुरक्षा के लिए भले ही सख्त रुख अख्तियार किए हों, लेकिन जिले के अधिकारियों पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। बेसहारा पशुओं के रख-रखाव पर करोड़ों खर्च करने के बाद भी वे बेचारा बने हुए हैं। इन पशुओं के लिए न तो रहने खाने की माकूल व्यवस्था है और न ही उनकी सुरक्षा ही सुनिश्चित हो पा रही है। कहीं चारा के अभाव में बेचारा बन ये बेजुबान दुनिया को अलविदा कह रहे हैं तो कहीं दु‌र्व्यवस्था का शिकार होकर असमय मौत को गले लगा रहे हैं। हालांकि जिले के जिम्मेदार व विभागीय इससे इत्तेफाक नहीं रखते, लेकिन निराश्रित पशुओं के लिए खोले गए पशु आश्रय केन्द्रों की जमीनी हकीकत कुछ ऐसी ही है। हुक्मरानों के कागजी रिकार्ड से अलग इन केंद्रों की दुर्दशा किसी से छुपी नहीं है। कहने को जिले के विभिन्न ब्लाकों में 18 तथा नगर पंचायत/नगर पालिका क्षेत्रों में 10 स्थानों पर पशु आश्रय केंद्र खोले गए हैं। जहां कुल 1287 पशुओं के सुरक्षित रखने का दावा किया जा रहा है। विभाग के अनुसार अधिकतर पशु आश्रय केंद्रों में रखे गए पशुओं को खाने-पीने व रहने की समुचित व्यवस्था है, लेकिन जिले के प्रमुख गो संरक्षण केंद्रों की हालत बद से बदतर है। यहां रखे गए गोवंशीय पशुओं को नारकीय जीवन जीना पड़ रहा है। कहीं-कहीं तो इन पशुओं को कैदियों की भांति ठूंस-ठूंस कर रखा गया है। इन केंद्रों को देखकर लोगों का जहां दिल दहल जा रहा वहीं जिम्मेदार चैन की नींद सो रहे हैं। पशु आश्रय केंद्रों का नजारा सरकारी तंत्र को कोसने पर मजबूर कर रहा है। अधिकतर केंद्रों पर भूख प्यास और दु‌र्व्यवस्था के कारण भारी संख्या में गो वंशियों की मौत भी हो चुकी है। बावजूद आलाधिकारी कोरम पूरा करने में जुटे हुए हैं। सरकारी आंकड़े के अनुसार नगरा ब्लाक के रघुनाथपुर में 165, मुरलीछपरा ब्लाक के भगवानपुर में 135, मनियर में 36, गड़वार ब्लाक के शाहपुर में 18 तथा रेवती ब्लाक के उदहां में 39 निराश्रित पशुओं को रखा गया है। इन सभी केन्द्रों की कमोवेश एक से हालात हैं।

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दावा 165 का मौके पर मिली महज एक गाय

नगरा : विकास खंड के रघुनाथपुर में निर्मित अस्थाई गो आश्रय स्थल में कभी 100 बछड़े व गायें थीं, लेकिन वर्तमान में एक भी बछड़ा मौजूद नहीं है। गोशाला के चारों तरफ खोदे गए गड्ढों में पानी भरा है। कुछ दिन पूर्व कुछ बछड़ों को पानी से निकाल कर समीप के एक मुर्गी फार्म में रखा गया था, कितु इस समय वहां भी बछड़ों का अता-पता नहीं है। अलबत्ता फार्म हाउस के बाहर बीमार हालत में एक गाय जरूर मिलीं। इसका उपचार चल रहा है। ग्रामीणों के अनुसार यहां रखे गए अधिकांश बछड़ों की मौत हो चुकी है। जो बचे थे उन्हें बरसात के चलते छोड़ दिया गया है। हालांकि विभाग इस केंद्र पर 165 गो वंशियों के होने का दावा कर रहा है, लेकिन मौके पर एक गाय के अलावा अन्य गो वंशी का न पाया जाना विभागीय कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर रहा है। वहीं पशु चिकित्साधिकारी डा. बीएन पाठक का कहना है भारी बरसात से दु‌र्व्यवस्था उत्पन्न हुई है। बचे हुए पशुओं का उपचार चल रहा है। पशुओं खान-पान व रखरखाव के लिए खाते में दो लाख रुपये पड़ा है। बदइंतजामी की वजह मर रहे पशु

दोकटी : मुरलीछपरा ब्लाके के ग्राम पंचायत सोनबरसा के भगवानपुर स्थित गोशाला दु‌र्व्यवस्था के मकड़जाल में उलझी पड़ी है। आलम यह है कि गोवंशों को रहने के लिए न तो समुचित व्यवस्था है न ही पीने के लिए पानी। यहां तक कि भूसा रखने के लिए शेड तक नहीं बनाया गया है। ऐसी स्थिति में गोवंशों को किस तरह सुरक्षित रखा जाय, यह बड़ा सवाल है। मुख्यमंत्री के आदेश को ताख पर रखने वाले अधिकारियों की वजह से छोटी सी जगह में जहां बमुश्किल ढाई दर्जन पशु रखे जा सकते थे वहां 135 पशुओं के रहने का दावा किया जा रहा है। हालांकि वर्तमान में इनकी संख्या 100 के आस-पास रह गई है। इसमें एक दर्जन पशुओं की मौत हो चुकी है। बाकी पशु कहां गए इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। इतना सबकुछ होने के बाद भी जिले के आला अफसर आंकड़ों की बाजीगरी में जुटे हुए हैं। बता दें कि पिछले दिनों हुई बारिश के बाद स्थिति और बदहाल हो गई है। बारिश से बचाव का हवाला देकर मामूली जगह में पशुओं को ठूंस दिया गया। नतीजतन पांच दिनों के अंदर एक दर्जन से अधिक पशु काल-कवलित हो गए। जिम्मेदार लोगों की अकर्मण्यता का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि पशुओं की संख्या बढ़ने के बाद भी कोई व्यवस्था नहीं की गई। वैसे जिले के हुक्मरानों को इन आंकड़ों से परहेज है। वर्तमान में यहां के हालात ऐसे हैं कि परिसर में गोवंशों को पानी के पीने की भी व्यवस्था नहीं है। बिजली रही तो बगल के पशु चिकित्सालय से पानी उपलब्ध कराया जाता है अन्यथा प्यासे ही रहना पड़ता है। मंगलवार को बैरिया में आयोजित समाधान दिवस के बाद डीएम भवानी सिंह खंगारौत ने भी मौका मुआयना किया और संबंधित लोगों को दिशा-निर्देश दे चलते बने। प्लास्टिक के नीचे रह रहे गो वंशी

सहतवार : फाइलों में आल इज ओके दर्शाने वाले अधिकारियों की कार्यशैली का नजारा रेवती ब्लाक के उदहां स्थित गो आश्रय केन्द्र पर देखने को मिला। यहां शेड के नाम पर प्लास्टिक तानकर पशुओं का रखने की व्यवस्था की गई है। यही नहीं इन पशुओं के न तो भूसा रखने की कोई व्यवस्था है और न ही चारा का कोई इंतजाम। विभागीय फाइलों में 39 निराश्रित पशुओं को आश्रय देने वाले इस केन्द्र पर महज 26 पशु ही मौजूद मिले। इस दौरान गो-संरक्षण केन्द्र का निरीक्षण करने पहुंचे उप निदेशक पंचायत आजमगढ़ रामजियावन ने व्यवस्था पर नाराजगी जाहिर की और जिम्मेदारों को कार्य में शिथिलता बरतने का दोषी पाया। बातचीत में बताया कि शासनादेश के मुताबिक यहां कोई व्यस्था नहीं की गई है। झोपड़ी का आकार देकर प्लास्टिक के सहारे गो वंशियों का रखा जा रहा है जो गैर जिम्मेदाराना है।


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