कोरोना से बचाव के इंतजाम नाकाफी, स्वच्छता पर उठे सवाल
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जागरण संवाददाता, बलिया : कोरोना वायरस को लेकर चिकित्सक सभी को यह सुझाव दे रहे हैं कि इस समय भीड़ से बच कर रहना हितकर है। कोरोना वायरस से बचाव ही सबसे बड़ा उपचार है, लेकिन कामकाजी लोग खुद को भीड़ से कैसे अलग रख सकते हैं। उसके लिए उन्हें भीड़ वाले स्थानों पर जाना ही होगा। हां यदि जिला प्रशासन इस भीड़ के बीच जरूरी इंतजाम कर दे तो जनपद की लगभग 34 लाख आबादी भय के इस माहौल में भी सुकून से जी सकती हैं।
बात आम लोगों की करें तो यहां सुबह से ही भीड़ के बीच सभी का जीवन होता है। नगर में सोमवार से शनिवार तक जाम की ऐसी स्थिति रहती है कि लोगों को पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। मंगलवार को तो नगर में जाम का ऐसा नजारा दिखा कि हजारों लोग बिना मतलब बजते हार्न और साइलेंसर के धुआं के बीच घंटों पिसते रहे। तब के समय में ऐसा लग रहा था मानो इंसान इस भीड़ के कौतूहल से कुछ पल में ही पागल हो जाए। यह स्थिति रोज की है। नगर में किसी भी रूट पर वाहन पंक्ति से नहीं चलते। जिसे जहां जगह मिलता है, वहीं समा जाता है। इस भीड़ के बीच हजारों लोग दिनभर रहते हैं, ऐसे में वे अपना बचाव कैसे करें, यह भी एक बड़ी समस्या है। कोरोना से बचाव के प्रशासनिक प्रयास नाकाफी हैं। स्वच्छता अभियान पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। अस्पतालों में भी मरीजों की भीड़
बदलते मौसम को लेकर अस्पतालों में भी भीड़ कम नहीं है, लेकिन बचाव के कोई उपाय नहीं है। सभी मरीज बिना मास्क पहने चिकित्सकों को घेरे रहते हैं। ऐसे में चिकित्सक तो मास्क पहन कर अपना बचाव करते हुए मरीजों का उपचार कर रहे हैं, लेकिन ओपीडी में खड़े मरीजों की भीड़ के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। हर कोई पहले हम तो पहले हम की तर्ज पर चिकित्सकों को घेरे रहता है। प्राइवेट नर्सिग होम में भी नहीं सावधानी
नगर के प्राइवेट नर्सिग होम में भी कोई सावधानी नहीं बरती जा रही है। यहां भी मरीज और उनके परिजन एक ही कमरे में काफी संख्या में बिना मास्क पहने बैठे या खड़े मिल रहे हैं। इनके यहां उपचार के नाम पर भले ही मोटी रकम मरीजों से वसूल की जा रही है, लेकिन मरीजों के बैठने तक के समुचित इंतजाम नहीं दिख रहे हैं। दस लोगों के बैठने लायक कमरे में 50 से 60 की संख्या में मरीजों के परिजन बैठे दिख रहे हैं। इस स्थिति में भी अपने को सुरक्षित नहीं माना जा सकता है। जागरूकता का दिख रहा अभाव
शासन स्तर से कोरोना से बचाव के लिए भले ही जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन जनपद में स्वास्थ्य विभाग की ओर से केवल खानापूíत की जा रही है। शहर में दो-तीन स्थानों पर विभाग ने कोरोना से बचाव संबंधित होर्डिग लगाकर विभाग ने यह मान लिया है कि जिले की 34 लाख की आबादी कोरोना वायरस से बचाव के प्रति जागरूक हो चुकी हैं। मास्क व सैनिटाइजर की बिक्री में मनमानी
कोरोना वायरस को लेकर लोगों में भय व्याप्त है। चिकित्सकों द्वारा इससे बचाव के तमाम उपाय बताए जा रहे हैं। इसके कारण मास्क व सैनिटाइजर की मांग अचानक बढ़ गई है। होलसेल बाजार में स्टॉक खत्म हो गया है। मेडिकल स्टोर वाले खुलेआम कालाबाजारी कर रहे हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। इससे आम लोगों में आक्रोश व्याप्त है। आम दिनों में सामान्य क्वालिटी का एक मास्क करीब पांच रुपये का मिलता था, इस समय 30 रुपये में बिक रहा है। कोरोना वायरस के लिए बेहतर एन-95 मास्क दोगुना महंगा चार से पांच सौ रुपये में बिक रहा है।
सैनिटाइजर की शीशी दोगुना महंगी बिक रही है। सर्जिकल के होल सेल के व्यापारी भोला अग्रवाल ने बताया कि पहले मास्क व सैनिटाइजर की मांग कम थी उसके हिसाब से माल उपलब्ध था। अचानक मांग बढ़ने से स्टॉक की कमी हो गई है। इसके कारण मेडिकल स्टोर वाले मनमाने रेट पर इसे बेच रहे हैं। कोरोना से बचाव को होने चाहिए ये इंतजाम
कोरोना वायरस से बचाव के लिए आम पब्लिक की चाहती है कि जिम्मेदार अपना उपदेश कम देकर सर्वत्र जरूरी इंतजाम करने की दिशा में अपना पांव बढ़ाएं। जब तक कोरोना का भय बना है, तब तक नगर पालिका, नगर पंचायत या ग्राम पंचायतों में स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाए। सुबह शाम संभव नहीं तो 24 घंटे में एक बार जरूर सड़क किनारे, गंदे नालों के आस-पास दवा का छिड़काव किया जाए। हर दो दिनों पर फागिग की जाए। नगर के लोग जाम में दिन भर कराहते न रहें, इसकी व्यवस्था भी यातायात पुलिस मजबूती से करे। जिला अस्पताल में बेड से लेकर परिसर तक को पूरी तरह साफ रखा जाए। मरीजों को देखने वाले चिकित्सक मरीजों को बारी-बारी से देखें। ओपीडी में एक साथ दस लोगों के न बुलाएं। प्राइवेट नर्सिग होम में भी साफ-सफाई के विशेष इंतजाम किए जाएं। नगर पंचायत और ग्राम पंचायतों में भी साफ-सफाई की खानापूíत न की जाए, काम किया जाए। स्वास्थ्य विभाग और जनप्रतिनिधियों की ओर से बचाव संबंधी जागरूकता अभियान दिल से चलाए जाएं।