बैरिया तहसील में प्राइवेट कर्मियों का बोलबाला, फरियादी परेशान
बैरिया तहसील के विभिन्न कार्यालयों व न्यायालयों में प्राइवेट कर्मियों के दबदबा व मनमानी से आम लोग परेशान हैं। अधिकारी सब कुछ जानकर भी अनजान बने हुए हैं। बैरिया तहसील के तहसीलदार व उपजिलाधिकारी के कार्यालयों व न्यायालयों में सरकारी कर्मचारियों के अलावा बड़ी संख्या में प्राइवेट व्यक्तियों को काम करने के लिए रखा गया है। उन्हें स्थानीय भाषा में नाजायज या खानगी कर्मचारी कहा जाता है जो बिना सरकारी मानदेय या मजदूरी के काम करते हैं। बदले में उन्हें पब्लिक से मनमानी वसूली की छूट संबंधित अधिकारी के अलावा पेशकार व अलहमदों ने दे रखा है।
जागरण संवाददाता, बैरिया (बलिया): बैरिया तहसील के विभिन्न कार्यालयों व न्यायालयों में प्राइवेट कर्मियों के दबदबा व मनमानी से आम लोग परेशान हैं। अधिकारी सब कुछ जानकर भी अनजान बने हुए हैं। बैरिया तहसील के तहसीलदार व उपजिलाधिकारी के कार्यालयों व न्यायालयों में सरकारी कर्मचारियों के अलावा बड़ी संख्या में प्राइवेट व्यक्तियों को काम करने के लिए रखा गया है। उन्हें स्थानीय भाषा में नाजायज या खानगी कर्मचारी कहा जाता है, जो बिना सरकारी मानदेय या मजदूरी के काम करते हैं। बदले में उन्हें पब्लिक से मनमानी वसूली की छूट संबंधित अधिकारी के अलावा पेशकार व अलहमदों ने दे रखा है। आलम यह है कि आम आदमी की बात तो दूर ये नाजायज कर्मचारी पत्रकारों, राजनैतिक दलों के कार्यकर्ताओं व समाजसेवियों से भी बिना सुविधा शुल्क लिए सीधे मुंह बात करने को तैयार नहीं हैं।
पीड़ित लोग बताते हैं कि तहसील के किसी भी कार्यालय में बिना पैसा लिए कोई भी कार्य नहीं हो रहा है। न तो किसी कार्यालय में कोई अनुशासन है, न कोई समय सारणी है और न ही कोई नियम-कानून। अगर आप इन प्राइवेट कर्मचारियों को मुंहमंगा पैसा दे देंगे तो कोई भी सरकारी रिकार्ड या कागजात आप को घर ले जाने या फोटो स्टेट कराने के लिए दे देंगे। सबसे खराब स्थिति तहसीलदार न्यायालय की है, जहां पैसा नहीं देने पर प्राइवेट कर्मी आम लोगों से उलझ जा रहे हैं। जागरूक लोगों ने जिलाधिकारी व सीडीओ का ध्यान अपेक्षित करते हुए तत्काल प्राइवेट कर्मियों की मनमानी व अवैध वसूली पर रोक लगाने की मांग की है।