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टूटी पुलिया के निर्माण को लेकर ग्रामीणों का प्रदर्शन

जासं रतसर (बलिया) भारत की आत्मा गांवों में बसती हो या नहीं पर उसका पिछड़ापन वहीं निवास करता है और इसी पिछड़ेपन को दूर करने के लिए केन्द्र सरकार माडल गांव बनाने की बात कहती है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Apr 2019 05:54 PM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2019 10:22 PM (IST)
टूटी पुलिया के निर्माण को लेकर ग्रामीणों का प्रदर्शन
टूटी पुलिया के निर्माण को लेकर ग्रामीणों का प्रदर्शन

जासं, रतसर (बलिया) : टूटी पुलिया के निर्माण की मांग को लेकर गुरुवार को ग्रामीणों ने उग्र प्रदर्शन किया। ग्रामीणों का आरोप था कि जन प्रतिनिधियों ने लंबे समय से पुलिया के निर्माण को लेकर सिर्फ आश्वासन दिया है। उन्हें किसी बड़े हादसे का इंतजार है।

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इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि भारत की आत्मा गांवों में बसती हो या नहीं पर उसका पिछड़ापन वहीं निवास करता है, और इसी पिछड़ेपन को दूर करने के लिए केंद्र सरकार माडल गांव बनाने की बात कहती है। सरकार के इसी दावे का पोल खोलती नजर आती है, रतसर न्याय पंचायत अंतर्गत ग्राम सभा भैरोबांध। गांव में आवागमन के लिए एकमात्र प्रवेश द्वार से 500 मीटर दूरी पर बनी पुलिया जो विगत दो वर्ष पूर्व जर्जर हालत में थी, उस समय ट्रैक्टर पर सामान लेकर जा रहे ग्रामीण पुलिया पार करते समय उसके अचानक टूट जाने के कारण घायल हो गए, तब से लेकर आज तक उक्त पुलिया उसी तरह से पड़ी है।

वक्ताओं ने कहा कि ग्रामीणों ने पुलिया निर्माण की मांग को लेकर शिकायत प्रधान, विधायक, मंत्री से लगायत प्रशासनिक अमला से की। अपनी पीड़ा सुनाते-सुनाते थक हारकर जन सहयोग से बांस की पुलिया का निर्माण कराया वो भी जर्जरावस्था में पहुंच बड़े हादसे को दस्तक दे रही है। इस जर्जर पुलिया का निर्माण नहीं होने से आक्रोशित ग्रामीणों को गांव में प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होना पड़ा है। ग्रामीणों ने चुनाव में वोट न देने की भी चेतावनी दी। सभा को राम दुलार, लखन, पारस नाथ, रमेश कुमार आदि ने संबोधित किया।

बताते चलें कि यह ग्राम सभा रतसर न्याय पंचायत में आती है, लेकिन गांव से बाहर लगभग 500 मीटर की दूरी पर बनी पुलिया नूरपुर ग्राम सभा में आती है। विगत दो वर्ष पूर्व जर्जर पुलिया को लेकर ग्रामीण दोनों गांव के प्रधान से मिले लेकिन दो पाटन के बीच में साबित बचा न कोय कहावत इस पुलिया को लेकर चरितार्थ होने लगी और आज तक उसका निर्माण नहीं हो सका।


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