विकास चाह रहे लोग, नेता पढ़ा रहे जाति-धर्म का पाठ
सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र में जिले के तीन विधानसभा की सहभागिता भले ही है लेकिन इन विधान सभाओं में विकास नदारद है। पहले इस लोक सभा में देवरिया जनपद के तीन विधानसभा सलेमपुर भाटपार रानी बरहज एवं बलिया जनपद के बिल्थरारोड एवं सिकंदरपुर होता था।
जागरण संवाददाता, सिकंदरपुर (बलिया) सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र में जिले के तीन विधानसभा की सहभागिता भले ही है, लेकिन इन विधानसभाओं में विकास नदारद है। पहले इस लोकसभा में देवरिया जनपद के तीन विधानसभा सलेमपुर, भाटपार रानी, बरहज एवं बलिया जनपद के बिल्थरारोड एवं सिकंदरपुर होता था। पिछले लोकसभा के परिसीमन के बाद सलेमपुर लोकसभा 71 में बलिया के तीन विधानसभा बिल्थरारोड, सिकंदरपुर, बांसडीह व देवरिया के दो विधानसभा भाटपार रानी एवं सलेमपुर रह गया। विकास के मामले में गौर करें तो इस लोकसभा में कोई उद्योग धंधा नहीं है जिससे यहां के बेरोजगारों को रोजगार मिल सके। इस लोकसभा के नौजवानों को पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा बंगाल आदि प्रांतों में जाकर रोटी का जुगाड़ करना पड़ता है।
जब-जब चुनाव आता है इस लोकसभा में जातीय समीकरण देखकर ही प्रत्याशी उतारे जाते हैं, ताकि जातीय वोटों का ध्रुवीकरण कर वह चुनाव जीत सकें। ऐसा केवल स्थानीय ही नहीं, राष्ट्रीय स्तर की पार्टियां भी करती हैं। मतदाता बताते हैं कि यहां बेरोजगारों को राजगार प्राप्त हो सके इस बिदु पर कोई बात नहीं होती, केवल जाति और राष्ट्रवाद का पाठ पढ़ा नेता मतदाताओं को पेट भरते रहते हैं। इस बार के चुनाव में भी वही दशा है। जनता विकास की बात कर रही है और नेता उन्हें जाति, धर्म और राष्ट्रवाद का ही पाठ पढ़ाते देखे जा रहे हैं।