कभी लोग उड़ाते थे मजाक, आज बन गए मिसाल
जागरण संवाददाता, रतसर (बलिया) : देश की अधिकांश आबादी गांवों में बसती है। यहां का मुख्य प
जागरण संवाददाता, रतसर (बलिया) : देश की अधिकांश आबादी गांवों में बसती है। यहां का मुख्य पेशा खेती है। यहां के खेतिहर-मजदूर येन-केन-प्रकारेण अनाज, फल एवं सब्जी का उत्पादन कर सभी का पेट भरते हैं। इसमें भी कई तरह की आपदाओं के कारण फसल का नुकसान हो जाता है। जिससे किसानों के समक्ष कठिन स्थिति उत्पन्न हो जाती है। किसानों की आर्थिक कठिनाइयों के साथ-साथ बाजार पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। इन सभी परिस्थितियों से निपटने का एक मात्र उपाय है कि वैज्ञानिक विधि से खेती करना, जो पैदावार बढ़ाने में सहायक है। इसके लिए मिट्टी की जांच कराएं ताकि मिट्टी की उर्वरा क्षमता के बारे में जानकारी मिल सके। इस विधि को अपनाकर अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है। क्षेत्र के जनऊपुर गांव के किसान कुबेरनाथ पांडेय सात वर्ष पहले मिट्टी की जांच कराकर खेती करना शुरू किए। तब लोग उनके इस कार्य को मजाक के रूप में देखते थे। आज वैज्ञानिक विधि से खेती कर गांव में उन्होंने अपनी अलग पहचान बना ली और लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए। उनका पूरा परिवार खेती पर ही निर्भर है। बच्चों की पढ़ाई से लेकर शादी-विवाह आदि का खर्च वो अपनी पांच बीघे की जमीन से उत्पादन कर उठा रहे हैं। बताते हैं कि कृषि विशेषज्ञों की सलाह लेकर अच्छे किस्म के उन्नतिशील बीज का शोधन कर बोआई कराते हैं। खेतों में रासायनिक खादों की जगह जैविक खाद का ज्यादा प्रयोग करते हैं। वे अपने खेतों की जोताई से लेकर फसलों की बोआई तक वैज्ञानिक विधि से ही करते हैं। इससे आपदा के समय भी कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है। यदि सभी किसान खेती में वैज्ञानिक विधि अपना कर फसल उत्पादन करें तो कोई ऐसा कारण नहीं है कि कम लागत में अधिक पैदावार न मिल सके। जागरण आधुनिक अन्नदाता कार्यक्रम की सराहना करते हुए बताया कि किसानों के हित में किया जा रहा यह कार्य निश्चित रूप से जागरुकता पैदा करेगा।