निर्भया के बाबा ने कहा-फांसी के बाद ही आत्मा को मिलेगी शांति
सामूहिक दुष्कर्म मामले में अदालत ने पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए आरोपितों की फांसी की सजा बहाल रखी। पीडि़ता के चाचा ने कहा साबित हो न्याय में भले ही देर है लेकिन अंधेर नहीं।
बलिया (जेएनएन)। लगभग छह वर्ष पहले नई दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म मामले में आज अदालत ने पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए आरोपितों की फांसी की सजा बहाल रखी है। अदालत के फैसले पर पीडि़ता के गांव मेड़वराकला में भी लोगों की नजर फैसले को लेकर टिकी हुई थी।
आज के फैलसे का सबको बेसब्री से इंतजार था कि आरोपियों पर फैसला जल्द आए। टीवी, मोबाइल के जरिए जैसे ही अदालत के फैसले की जानकारी मिली वैसे ही गांव के लोगों में तसल्ली हुई कि आखिरकार न्याय की जीत हुई। परिजनों के हौसले को जहां लोगों ने सराहा वहीं घर पर भी जाकर लोगों ने बिटिया को न्याय मिलने पर संतोष जताया। ग्राम प्रधान सविता देवी ने कहा कि अब दोषियों को जल्द से जल्द फांसी पर लटका देना चाहिए। वही बहादुर बिटिया के साथ सही मायने में न्याय होगा।
उसकी याद में आज भी गांव के लोगों की आंखें डबडबा जाती हैं। पीडि़ता के बाबा से जब फैसले की बाबत पूछा गया तो वे काफी भावुक हो गए। बोले बिटिया तो वापस नहीं आ सकती लेकिन उसे इंसाफ मिलने से उसकी आत्मा को शांति अवश्य मिलेगी। हमें अदालत पर पूरा भरोसा था। पीडि़ता के चाचा ने कहा कि न्याय में भले ही देर है लेकिन अंधेर नहीं यह बात आज एक बार फिर से साबित हो गई। बिटिया को न्याय दिलाने के लिए उसके माता-पिता ने लंबा संघर्ष किया। उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। अंत तक उन्होंने हार नहीं मानी और इंसाफ की जंग जीतने में कामयाब रहे।
दरअसल 16 दिसंबर 2012 की रात दिल्ली में छह आरोपितों ने बस में पीडि़ता के साथ गैंगरेप किया था। बाद में उसकी मौत हो गई थी। एक अभियुक्त ने जेल में फांसी लगा ली थी। आरोपियों में एक नाबालिग जो तीन साल की सजा काट चुका है। बाकी चार को निचली व हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। तीन अभियुक्तों ने पुर्नविचार याचिका दाखिल की थी, जिसे अदालत ने सोमवार को खारिज कर दिया।