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नगरा पानी टंकी बनी शो पीस, पेयजल संकट

स्वस्थ शरीर के लिए स्वच्छ जल भी जरुरी है। नगरावासियों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने हेतु एक

By JagranEdited By: Published: Fri, 13 Dec 2019 07:11 PM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 06:08 AM (IST)
नगरा पानी टंकी बनी शो पीस, पेयजल संकट
नगरा पानी टंकी बनी शो पीस, पेयजल संकट

जागरण संवाददाता, नगरा (बलिया) : स्वस्थ शरीर के लिए स्वच्छ जल भी जरूरी है। नगरावासियों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने हेतु एक करोड़ खर्च करके बनी नगरा की पानी टंकी जनप्रतिनिधियों व विभागीय अधिकारियों की उपेक्षा से महज शो पीस बन कर रह गई है। एक दशक पूर्व जब इस टंकी का निर्माण हुआ तो लोगों की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा। लोगों को लगा कि अब उन्हें स्वच्छ पेयजल मयस्सर हो सकेगा कितु ज्यों ज्यों समय गुजरता गया खुशी निराशा में बदल गई।

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आज तक लोगों को स्वच्छ जल का दर्शन तक नहीं हुआ। 8 नवंबर 2006 को पानी टंकी का लोकार्पण तत्कालीन भाजपा विधायक रामइकबाल सिंह ने किया था। इसके बाद दुबारा टंकी का लोकार्पण तत्कालीन सपा विधायक सनातन पांडेय ने भी कर दिया था। ताज्जुब तो इस बात का है कि दो विधायकों के लोकार्पण के बाद भी टंकी चालू नहीं हो सकी। अब तो टंकी से पानी का रिसाव भी होने लगा है। जल निगम ने इस टंकी का हस्तानान्तरण अब ग्राम पंचायत को कर दिया है। ठेकेदार द्वारा बाजार में पाइप भी बिछा दिए गए हैं।

जब भी पानी सप्लाई के लिए नलकूप चालू किया जाता है लिकेज के कारण बाजार में पानी लग जाता है। कुछ दिनों तक तो जलनिगम जलापूर्ति न होने का ठीकरा नगरावासियों पर ही फोड़ता रहा। विभाग का कहना था कि लोग जब तक कनेक्शन नहीं ले लेते तब तक टंकी चालू करने से कोई फायदा नहीं है। ग्राम पंचायत को हस्तानान्तरित होने के बाद भी टंकी बंद ही पड़ी है। पानी टंकी निर्माण में हुई गोलमाल की जांच हेतु तत्कालीन विधायक गोरख पासवान ने शासन को पत्र लिखा था। जांच भी शुरू हुई थी कितु कुछ दिनों के बाद यह प्रकरण ठंडे बस्ते में चला गया। लोगों के सवाल पर जनप्रतिनिधियों ने टंकी को चालू कराने का भरोसा दिया था कितु बाद में उन्होंने भी चुप्पी साध लिया।

प्रदेश में जब भाजपा सरकार सत्तासीन हुई तो लोगों के अंदर विश्वास जगा कि अब टंकी जरूर चालू हो जाएगी कितु नतीजा वही ढाक के तीन पात। टंकी पर किसी आपरेटर का न रहना भी लचर व्यवस्था को दर्शाता है। नियमानुसार निर्माण के 15 वर्ष बाद ही मरम्मत या किसी अन्य कार्य हेतु बजट स्वीकृत हो सकेगा। इसी वजह से न तो किसी तरह का बजट स्वीकृत होता है न ही टंकी की मरम्मत हो पाती है।

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जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा से एक दशक बाद भी टंकी चालू नहीं हो सकी है। यह विभागीय लापरवाही को भी दर्शाता है।

देवभूषण पांडेय रिकू, दवा कारोबारी।

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पानी टंकी का चालू न होना नगरा की जनता के साथ अन्याय है। जनता की मांग पर यह टंकी बनी थी। इसके बाद चालू न होना दुर्भाग्यपूर्ण है।

-अखिलानंद यादव, पुस्तक कारोबारी।

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एक दशक बाद भी टंकी चालू नहीं हुई। इससे लोगों में जबरदस्त गुस्सा है। इससे लोगों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। अब तो यह टंकी जर्जरवस्था में पहुंच गई है।

-राधेश्याम चौबे, समाजिक कार्यकर्ता

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एक करोड़ की लागत से बनी पानी टंकी यहां की जनता के लिए वरदान की जगह अभिशाप बन गई है। इसे चालू कराने को लेकर न तो अधिकारी गंभीर है न जनप्रतिनिधि ही संवेदनशील हैं।

-ज्ञानचंद, कारोबारी


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