ग्राम व नगर पंचायत के बीच फंसे मनरेगा श्रमिक
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जासं, नगरा (बलिया) : कोरोना वायरस से बचाव को लेकर हुए लॉकडाउन के कारण किसी भी श्रमिक के समक्ष रोजी रोटी का संकट उत्पन्न न हो इसे ध्यान में रख कर ग्राम पंचायतों में मनरेगा का कार्य युद्ध स्तर पर शुरू कराया गया है। वहीं ग्राम पंचायत नगरा, भंडारी व चचयां में मनरेगा के मजदूर काम की तलाश में दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। सबसे अधिक परेशानी तो प्रवासी श्रमिकों को है। इन श्रमिकों के सामने रोजी रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है। इन तीनों ग्राम पंचायतों में मनरेगा का कार्य रोक दिया गया है। वर्तमान समय में ये तीनों ग्राम पंचायतें नवगठित नगर पंचायत नगरा का हिस्सा बन गई हैं। हालांकि इन तीनों ग्राम पंचायतों में राज्य वित्त व 14वें वित्त से कार्य हो रहे हैं इसके बावजूद मनरेगा का कार्य रोकना समझ से परे है। ब्लाक सूत्रों की मानें तो नगर पंचायत नगरा में शामिल होने के कारण इन तीनों ग्राम पंचायतों में मनरेगा का कार्य कराए जाने पर रोक लगाई गई है। नए वित्तीय वर्ष से नगर पंचायत के पास बजट होने की उम्मीद जताई जा रही थी। लेकिन नया वित्तीय वर्ष कब से शुरू होगा इस पर संशय बना हुआ है। नगरा, चचयां व भंडारी को मिलाकर मनरेगा जाबकार्ड धारक श्रमिकों की संख्या सात सौ के करीब है जिसमें 450 श्रमिक एक्टिव हैं। इन तीनों ग्राम पंचायतों के मनरेगा श्रमिकों को लाभ न तो नगर पंचायत से ही मिल रहा है न ही ग्राम पंचायतें ही काम दे रही हैं। श्रमिक दो पाटों के बीच फंसकर रह गए हैं।
विकास अधिकारी रामआशीष का कहना है कि नगरा, चचयां व भंडारी ग्राम पंचायतें नवगठित नगर पंचायत नगरा में चली गई हैं। इसलिए इन ग्राम पंचायतों में मनरेगा के कार्यों पर रोक लगी है। वहीं नगर पंचायत नगरा के अधिशासी अधिकारी संजय राव का कहना है कि तीनों ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 30 जून तक बढ़ा दिया गया है। इसलिए नगर पंचायत मनरेगा श्रमिकों को काम नहीं दे पा रही है।