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परिषदीय स्कूलों में बच्चों की उपस्थति कम, व्यवस्था पर सवाल

परिषदीय स्कूलों में बचों की कम उपस्थिति

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 05:08 PM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 05:08 PM (IST)
परिषदीय स्कूलों में बच्चों की उपस्थति कम, व्यवस्था पर सवाल
परिषदीय स्कूलों में बच्चों की उपस्थति कम, व्यवस्था पर सवाल

जागरण संवाददाता, बांसडीहरोड (बलिया) : वर्तमान शैक्षणिक व्यवस्था को लेकर शिक्षा विभाग के दावे चाहे जो हों, लेकिन वास्तविकता की धरातल पर पठन-पाठन की व्यवस्था पूरी तरह धूल धूसरित होती चली जा रही है। विद्यालयों में बच्चों के नामांकन व उपस्थिति के समन्वय में काफीअंतर है। इस पर भी जिम्मदारों का कहना है की बच्चे रोज आते हैं लेकिन आज कुछ संख्या में कमी है। इसी व्यवस्था को लेकर जागरण ने गुरुवार को शिक्षा क्षेत्र दुबहड़ व हनुमानगंज के कुछ प्राथमिक विद्यालयों में पठन पाठन की व्यवस्था का सच देखने का प्रयास किया तो स्थिति काफी खराब मिली। शुरुआत हनुमानगंज शिक्षा क्षेत्र के पूर्व माध्यमिक विद्यालय परिखरा से हुई तो दिन के ग्यारह बजे विद्यालय बंद मिला। आसपास के लोगों ने बताया कि कल तो खुला था लेकिन आज बंद है।

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इसके बाद शिक्षा क्षेत्र दुबहड़ के उच्च प्राथमिक विद्यालय दुबौली में कुछ बच्चे विद्यालय के प्रांगण में खेलते मिले। जहां प्रधानाध्यापक ने बताया कि अभी बच्चों ने खाना खाया है, इसके बाद खेल रहे हैं। बताया कि विद्यालय में कुल 35 बच्चों का नामांकन है, जिसमें 20 बच्चे उपस्थित हैं। इसी हाल में प्राथमिक विद्यालय दुबौली में नामांकित 62 बच्चों के सापेक्ष 28 बच्चे उपस्थित रहे। ऐसे ही हाल में प्राथमिक विद्यालय सलेमपुर में नामांकित 103 बच्चों के सापेक्ष 43 बच्चे उपस्थित मिले। पास के ही शहीद जूनियर हाईस्कूल में 160 नामांकित बच्चों के सापेक्ष महज कुछ बच्चे विद्यालय में मौजूद रहे। हालांकि प्रधानाध्यापिका का दावा था कि 80 बच्चे आये थे, खाना खाने के बाद आसपास टहल रहे होंगे। इसी क्रम में प्राथमिक विद्यालय नवानगर में कुल 35 बच्चों का नामांकन है जिनमें 15 बच्चें उपस्थित दिखाई दिए। इसी हाल में क्षेत्र में शिक्षा की गाड़ी जैसे-तैसे चल रही है। जिम्मेदार आल इज वेल के नारे के साथ सब कुछ ठीक बताने में जुटे हुए हैं। शिक्षा की इस व्यवस्था में अभिवावक बच्चों को विद्यालय भेजने तक ही सीमित हैं। बच्चे विद्यालय आकर एमडीएम खाने तक सीमित हैं, जबकि शिक्षि सिर्फ आने-जाने तक सीमित है। इसके बावजूद भी जिम्मेदार पूरी जिम्मेदारी से अपने कर्तव्यों का निदान करने में जुटे हुए हैं।


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