लुई ब्रेल ने नेत्रहीनों को दी ज्ञान की रोशनी
जागरण संवाददाता रसड़ा (बलिया) प्रकृति के रहस्यों को जानने की जिज्ञासा ने ही मानव को आज
जागरण संवाददाता, रसड़ा (बलिया) : प्रकृति के रहस्यों को जानने की जिज्ञासा ने ही मानव को आज आधुनिक विज्ञान व विकास पथ पर आरूढ़ किया है। ऐसा ही चमत्कार लुई ब्रेल ने करके दृष्टिबाधितों को ज्ञान की रोशनी दी है। उनके इस आविष्कार को ही उनके नाम से ब्रेल लिपि कहा जाता है। नगीना ज्योति दृष्टिबाधितार्थ विद्यालय पांडेयपुर, संवरा में लुई ब्रेल की जयंती पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि बड़ौरा यूपी बैंक के प्रबंधक प्रशांत सिंह ने उक्त उद्गार व्यक्त किए।
समारोह से पूर्व मुख्य अतिथि ने विद्यालय के प्रबंधक व संयोजक गुलाबचंद्र चौहान सहित अन्य अतिथियों के साथ लुई ब्रेल के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। तत्पश्चात उन्होंने नेत्रहीन पुरूष, महिलाओं सहित अन्य विशिष्टजनों को विशिष्ट अतिथि नरेंद्र श्रीवास्तव के साथ माल्यार्पण कर अंगवस्त्रम से सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ हिदी में देवनागरी लिपि का महत्व है उसी प्रकार नेत्रहीनों के लिए ब्रेल लिपि का महत्व है। इससे नेत्रहीन पढ़-लिख कर जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं।
विशिष्ट अतिथि पूर्वोत्तर रेलवे के सलाहकार समिति के सदस्य नरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि दिव्यांगों की सेवा ही सच्ची सेवा है। नेत्रहीन लोगों की रोशनी अवश्य छीन गई है कितु ईश्वर द्वारा उन्हें ऐसा ज्ञान प्रदान किया गया है जिसके बल पर ये कला व मेधा से केवल देश ही नहीं अपितु विश्व पटल पर अपना व देश का नाम रोशन कर सकते हैं। इश्तियाक अहमद ने लुई ब्रेल के आदर्शों को अपनाने पर बल दिया। समारोह में वक्ताओं ने लुई ब्रेल की जयंती को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देने की मांग की। संस्थान के प्रबंधक गुलाबचंद चौहान ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम को श्यामजीत यादव, कमलेश चौहान, सर्वदास कन्नौजिया ने संबोधित किया। नेत्रहीनों ने लोक गीतों सहित रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए। अध्यक्षता सेंट्रल बैंक के पूर्व शाखा प्रबंधक रामपृत चौहान व संचालन धर्मेंद्र तिवारी ने किया।