दिहाड़ी से नहीं चलेगा जीवन, सरकार करे मुकम्मल इंतजाम
चेहरे पर उदासी आंखों में काम के इंतजार का भाव मजदूरों की वास्तविक पहचान है। शहर की आपाधापी हो या गांव की चहलकदमी हर जगह अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाले इन मजदूरों की बदिकस्मती एक जैसी है। इन गरीबों की किस्मत से काली छाया कब हटेगी इसका कोई ठिकाना नहीं। हालात के आगे मजबूर ये मजदूर अपनी बदकिस्मती से लड़ते धूप पानी हवा व वक्त के थपेड़ों के साथ जिन्दगी की गाड़ी को किसी तरह खिच रहे हैं।
जागरण संवाददाता, बलिया : चेहरे पर उदासी, आंखों में काम के इंतजार का भाव मजदूरों की वास्तविक पहचान है। शहर की आपाधापी हो या गांव की चहलकदमी हर जगह अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाले इन मजदूरों की बदकिस्मती एक जैसी है। इन गरीबों की किस्मत से काली छाया कब हटेगी इसका कोई ठिकाना नहीं। हालात के आगे मजबूर ये मजदूर अपनी बदकिस्मती से लड़ते धूप, पानी, हवा व वक्त के थपेड़ों के साथ जिन्दगी की गाड़ी को किसी तरह खिच रहे हैं।
काम करो तो पेट की आग बुझेगी, वर्ना भूखे रात गुजारने की विवशता इनका पीछा नहीं छोड़ती। मंगलवार को शहर के मालगोदाम पर रेलवे के प्राइवेट मजदूरों के बीच दैनिक जागरण ने अपनी चुनावी चौपाल लगाई। इसमें मजदूरों ने अपनी व्यथा तो सुनाई ही सरकारी योजनाओं की कलई भी खोल दी। उद्योग-धंधों की कमी की वजह से निश्चित मजदूरी के अभाव का दंश झेल रहे इन मजदूरों ने हर पहलू पर खुल कर बात की। कहा कि बेशक सरकारी योजनाएं संचालित हो रही हैं लेकिन जिम्मेदारों की कमी व भ्रष्टाचार के आगे योजनाएं दम तोड़ रही हैं। योजनाएं गरीबों के दर तक नहीं पहुंच पातीं। किसी ने सरकार की मंशा पर प्रश्नचिह्न खड़ा किया तो कोई ऐसा भी रहा कि सबकुछ के बाद भी देश के नाम पर सरकार के साथ खड़ा मिला। मतदाताओं से अपील
-बहकावे में न आएं, सही प्रत्याशी को दें वोट।
-विकास संग साथ निभाए ऐसे को करें मतदान। प्रमुख राष्ट्रीय मुद्दे
-रोजगार की गारंटी दी जाए ताकि बाहर न जाना पड़े।
-बड़े उद्योगों की हो स्थापना।
-दैनिक मजदूरी का तय हो मानक। प्रमुख राज्यस्तरीय मुद्दे
-मजदूरों के लिए अलग कालोनी की हो व्यवस्था।
-भूमिहीन मजदूरों को दिया जाए पट्टा।
-भ्रष्ट अधिकारियों पर हो कार्रवाई। स्थानीय प्रमुख मुद्दे
-मलगोदाम पर पानी व शौचालय की व्यवस्था किया जाए।
-मजदूरों के लिए कमरे की व्यवस्था हो।
-जनपद का विकास किया जाए।