कठ मुक्तेश्वर धाम कठघरा
कठ मुक्तेश्वर धाम लाखों लोगों के आस्था का केंद्र कठ मुक्तेश्वर धाम मंदिर काफी प्राचीन है।
कठ मुक्तेश्वर धाम
लाखों लोगों के आस्था का केंद्र कठ मुक्तेश्वर धाम मंदिर काफी प्राचीन है। श्रद्धालुओं का दर्शन के लिए पूरे वर्ष मंदिर पर आना जाना लगा रहता है। श्रावण मास में तो मंदिर पर दर्शनार्थियों की काफी भीड़ होती है। जनपद सहित पड़ोसी जिलों व गैर प्रांतों के श्रद्धालु भी भोले बाबा के दर्शन व जलाभिषेक के लिए आते हैं। सोमवार को बाबा के भक्तों की काफी भीड़ होती है। दूरदराज के गांवों से श्रद्धालु बाबा के जलाभिषेक के लिए आते है।
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इतिहास
ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार सैकड़ों वर्ष पूर्व कठघरा का इलाका वन से आच्छादित था। इसी वन के अंदर एक विशाल सरोवर था। सरोवर की सफाई के दौरान मिट्टी के नीचे से एक अछ्वुत शिव¨लग मिला। गांव वाले उक्त शिव¨लग को वहां से लाकर कठघरा के पश्चिम तरफ मिट्टी का चबूतरा बना कर शिव¨लग को उस पर रख दिए। बाद में उक्त स्थान को मन्दिर का रूप दिया गया। 1991 में यह एक भव्य मन्दिर का रूप ले लिया।
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विशेषता
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मन्दिर में स्थापित मूर्ति गुप्तकालीन है। इस मंदिर की खासियत है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से यहां हाजिरी देता है। उसकी मनोकामना निश्चित रूप से पूर्ण होती है। इसके चलते दूर दराज के लोग आकर मन्नतें मांगते है।
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लोगों की भोलेनाथ में काफी आस्था है। जो भी व्यक्ति सच्चे मन से बाबा के दरबार में शीश नवाता है। उसकी मनोकामना निश्चित रूप से पूरी होती है।
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-पं.राजू तिवारी, पुजारी
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-सावन मास में यहां भक्तों की काफी भीड़ होती है। इसके मद्देनजर मन्दिर पर विशेष इंतजाम किए जाते हैं। बाबा के आने वाले भक्तों को असुविधा न हो इसका पूरा ख्याल रखा जाता है।
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-राजधारी, प्रबंधक मंदिर कमेटी