शहर के गंदा पानी का वाहक बना कटहल नाला
गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए शासन स्तर से कई योजनाएं चल रही है।वहीं इसके लिए सरकार के सख्त निर्देश भी है। इसके बावजूद शहर का गंदा पानी नालों के माध्यम से गंगा में बड़े पैमाने पर गिर रहा है। इससे मोक्षदायिनी गंगा लगातार मैली होती जा रही हैं।
जागरण संवाददाता, बलिया : गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए शासन स्तर से कई योजनाएं चल रही है।वहीं इसके लिए सरकार के सख्त निर्देश भी है। इसके बावजूद शहर का गंदा पानी नालों के माध्यम से गंगा में बड़े पैमाने पर गिर रहा है। इससे मोक्षदायिनी गंगा लगातार मैली होती जा रही हैं। प्रशासन की आंखों के सामने गंगा में कटहल नाले के माध्यम से सीधे गंगा में मैला पानी लगातार गिर रहा है। इसे रोकने के लिए प्रशासन स्तर पर न तो कोई पहल की गई है और न ही कोई ठोस योजना है।
शहरीकरण और नगरीकरण की इस व्यवस्था को, अब तो नगर बलिया की आधी आबादी से भी ज्यादा मल जल युक्त कचरा सीधे-सीधे कटहल नाला में जाता है जो अब पतित पावनी मां गंगा से जुड़ा हुआ है। जानकारों की मानें तो प्रतिक्षण तकरीबन 500 क्यूसेक गंदा पानी कटहल नाला के माध्यम से गंगा में जाता है। इसे रोक पाने में प्रशासन पूरी तरह से विफल है। नगर पालिका परिषद के ईओ दिनेश कुमार विश्वकर्मा ने कहा कि गंगा में नाला का पानी न जाए, इसके लिए सार्थक पहल की गई है। बाढ़ व बरसात के दिनों में ऐसी दिक्कत आती है। फेंक देते मृत मवेशी व शौचालय की गंदगी
कटहल नाले में गंदा पानी गिरने के साथ ही इसमें मृत मवेशी भी फेंक देते हैं। इससे लोगों को काफी दिक्कत होती है। वहीं टैंकरों से मल-मूत्र लाकर नाले में गिरा देते हैं। इसे रोकने में भी प्रशासनिक अमला पूरी तरह से विफल है। यह गंदे पानी की धार से सीधे गंगा में चली जाती है।