इत्र की नगरी में फल-फूल रहा नशे का अवैध कारोबार
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जागरण संवाददाता, बलिया: यूं तो जिले का सिकंदरपुर क्षेत्र इत्र व गुलाब सकरी के लिए प्रसिद्ध रहा है लेकिन इन दिनों यह इलाका दम मारो दम, मिट जाये गम का राग अलाप रहा है। नशा कारोबारियों के लिए सेफ जोन बन चुका यह क्षेत्र संभ्रांत लोगों के लिए जहां पीड़ादायक बन गया है वहीं आम जन की नजर में नशा का केन्द्र बन सुर्खियां बटोर रहा है।
वजह यह कि सुबह से लेकर शाम तक इलाके के लगभग आधे से अधिक गांवों में शराब के साथ हेरोइन का धंधा बैखौफ संचालित किया जा रहा है। नशेड़ियों के लिए पूरी तरह सुरक्षित बन चुके इस क्षेत्र की पुलिस भी वैध-अवैध का चक्कर छोड़ अपनी जेबे गरम करने में जुटी है। स्थानीय पुलिस की स्थिति ऐसी है कि घाघरा के किनारे बसे अधिकतर गांवों में शाम ढलते ही नशे का कारोबार अपनी गति पकड़ लेता है। जो पूरी रात बदस्तूर चलता है। इसे कभी भी नंगी आंखों से देखा जा सकता है। कभी गुलाबी खुशबू से सराबोर रहने वाला यह इलाका पुलिस की निगरानी में आज शराब की गंध से दो चार हो रहा है।
हालात यह है कि क्षेत्र के जमुई, कुंडीडीह, डूहा विहरा, कठौड़ा, लिलकर, गोसाईपुर, आदमपुर, शेखपुर, सिसोटार, नरहनी व खरीद समेत बहुसंख्यक गांवों में न सिर्फ अवैध शराब की भट्ठियां धाक रही हैं बल्कि अवैध शराब का धंधा खूब चल रहा है। साथ ही इन दिनों इस क्षेत्र में हेरोइन का भी जमकर व्यापार किया जा रहा है। दिनों दिन नशेड़ियों की बढ़ती जमात से लोगबाग काफी सकते हैं लकिन पुलिस के झूठे मुकदमे के डर से कोई मुंह नहीं खोल पा रहा है। शराब व हरोइन के इस अवैध करोबार से न सिर्फ सरकारी राजस्व का चूना लग रहा है बल्कि शरीफों की बस्ती में नशेड़ियों का आतंक दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। लोगों का कहना है कि जेब भरने पर उतारु स्थानीय पुलिस नैतिकता को काफी पीछे छोड़ चुकी है।
नशेड़ियों व नशा के कारोबार से जुड़े लोगों को पुलिस की सरपरस्ती हासिल है। लिहाजा कोई चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर पाता। ऐसे में इनकी मनमानी बढ़ती ही जा रही है। हैरत की बात तो यह है कि सबकुछ जानने के बाद भी उच्चाधिकारी ऐसे पुलिस वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते। सबसे बड़ी बात यह है कि इस धंधे को संरक्षण देने वालों में थाने पर वर्षों से जमे पुलिसकर्मियों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है।