अतिक्रमण का शिकार हो रहा ऐतिहासिक तेलिया पोखरा
जागरण संवाददाता चितबड़ागांव (बलिया) किसी जमाने में चितबड़ागांव बाजार का गौरव बढ़ाने वाला
जागरण संवाददाता, चितबड़ागांव (बलिया): किसी जमाने में चितबड़ागांव बाजार का गौरव बढ़ाने वाला ऐतिहासिक तेलिया पोखरा वर्तमान चारों दिशाओं से अतिक्रमण का शिकार होकर अस्तित्व का संकट झेल रहा है। कई बार अतिक्रमण हटाने का स्थानीय लोगों ने किया लेकिन राजनैतिक हस्तक्षेप और प्रशासनिक उपेक्षा के कारण सफल नहीं हो पाया।
चितबड़ागांव पूर्वांचल का प्रमुख बाजार हुआ करता था। बाजार के बीच 19 वीं सदी में नगर के संपन्न व्यवसायी ने इस भव्य पोखरे का निर्माण कराया था। इस पोखरे को बाद में तेलिया पोखरा के नाम से जाना जाने लगा। पोखरे के चारों तरफ पक्की सीढि़यां और दक्षिण दिशा में भव्य शिव मंदिर का निर्माण किया गया है। इस पोखरे से बाजार की रौनक बढ़ जाती थी। नहाने धोने यहां तक कि पशुओं के पानी पीने तक की भी व्यवस्था इस पोखरे में की गई थी। ढलान युक्त सीढ़ी के द्वारा पशु पानी पिया करते थे। धीरे-धीरे पोखरे के आसपास सीढि़यों को कब्जा कर कच्चे पक्के निर्माण होते गए। वर्तमान समय में स्थिति यह है कि पोखरे का अस्तित्व समाप्त सा हो गया है। बाजार का सार्वजनिक और व्यक्तिगत कूड़ा कचरा गंदा पानी नाली नादान सब कुछ उसी पोखरे में जाता है। चारों ओर से भारी अतिक्रमण है पोखरा जलकुंभी पटा हुआ है। नगर पंचायत के व्यापारी नेता तेजू गुप्ता ने हैंड बिल बांटकर नगर के जागरूक लोगों से पोखरे को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए अभियान चला रहे है। अतिक्रमण हटवाने के लिए पूर्व चेयरमैन बृज कुमार सिंह ने आमरण अनशन तक किया। इसके बाद भी कोई हल नहीं निकल सका। वर्तमान चेयरमैन केसरी नंदन त्रिपाठी ने भी पोखरे को अतिक्रमण से मुक्त कराने का प्रयास किया लेकिन अभी कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आए है। ऐसे में पोखरे का अस्तित्व मिटने के कगार पर है।