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यूपी की शराब से बिहार के मतदाता बना रहे मूड

बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में शराब को भले ही बैन कर दिया है। लेकिन बिहार के मतदाताओं और अलग-अलग दल कार्यकर्ताओं के लिए सीमा के बाजार मूड बनाने के मामले में सहायक बन रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 06:17 PM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 06:17 PM (IST)
यूपी की शराब से बिहार के मतदाता बना रहे मूड
यूपी की शराब से बिहार के मतदाता बना रहे मूड

जागरण संवाददाता, बैरिया (बलिया) : बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में शराब को भले ही प्रतिबंधित कर दिया गया है, लेकिन बिहार के मतदाताओं और अलग-अलग दल कार्यकर्ताओं के लिए सीमा के बाजार मूड बनाने के मामले में सहायक बन रहे हैं। मतदाताओं को अपने पक्ष में करने लिए बिहार की ओर से यूपी में भेजकर दावत की व्यवस्था की जा रही है। बैरिया विधानसभा से सटे बिहार के भोजपुर और छपरा के इलाके से बड़ी संख्या में लोग चारपहिया, दोपहिया वाहनों से उत्तर प्रदेश की सीमा में आकर लाइसेंसी दुकानों से शराब खरीदकर उसका आनंद लेते देखे जा रहे हैं।

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इस शराब के दावत के कारण द्वाबा क्षेत्र के अंग्रेजी शराब व बियर की दुकानों की बल्ले-बल्ले है। उनकी बिक्री काफी बढ़ गई है। लाइसेंसी शराब के विक्रेता इस बात को स्वीकार नहीं कर रहे हैं कि बिहार में लोकसभा चुनाव के कारण शराब की बिक्री में काफी इजाफा हुआ है, बल्कि इसका कारण शादी-विवाह के मौसम को बता रहे हैं और कहते हैं कि हर साल लगन के मौसम में बिक्री बढ़ जाती है। इस साल धंधा काफी अच्छा है। इसका कारण भी लगन का मौसम ही है, लेकिन शराब की दुकानों के सामने सड़कों पर बिहार नंबर के चारपहिया, दोपहिया वाहनों की भीड़ यह बताती है कि शराब खरीदने व पीने वाले क्षेत्रीय नहीं बल्कि पड़ोसी राज्य बिहार के हैं।

आबकारी विभाग भी बिहार के शराबबंदी का भरपूर लाभ उठा रहा है। बिहार के नाम एलाट अंग्रेजी शराब की दुकान रामगढ़ में चल रही है। वहीं बकुल्हा के नाम से आवंटित दुकान मांझी घाट के पास चल रही है। इसके अलावा अन्य स्थानों पर भी जैसे बैरिया, लालगंज, रानीगंज, टोला शिवन राय, सुरेमनपुर व आसपास के सरकारी शराब की दुकानों पर बिहारी शराबियों की भीड़ देखी जा रही है। कुछ जगहों पर तो इस तरह की जानकारी मिल रही है कि बिहार के कतिपय लोकसभा क्षेत्र के कुछ प्रत्याशी उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों के सरकारी शराब की दुकानों पर अग्रिम पैसा जमा कर चुके हैं। वहां से वह पर्ची लिखकर संबंधित को देते हैं और क्षेत्र के दुकानदार यहां शराब यहां उपलब्ध करा देते हैं। इसमें कहीं नकद लेनदेन की व्यवस्था नहीं है। वहीं बिहार के लोगों को यूपी में आकर शराब के सेवन करने पर कोई कानूनी प्रतिबंध नहीं है।

क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि बड़ी संख्या में बिहारियों के उत्तर प्रदेश में आकर शराब पीने से यहां कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होने की आशंका बढ़ गई है। लगभग रोज शाम को बैरिया की तरफ से शराब पीकर दोपहिया, चारपहिया वाहन लहराते हुए अनाप-शनाप बकते हुए मांझी की तरफ जाते देखे जा रहे हैं। ऐसे में चुनाव ड्यूटी में व्यस्त पुलिस प्रशासन के लिए यह बड़ी चुनौती है कि आखिर बिहार के शराब पीने वालों को कैसे यहां आने से रोका जाए। ''लाइसेंसी दुकानों से शराब खरीदने और उसका उपयोग करने से नहीं रोका जा सकता है। अगर नशे की हालत में किसी तरह से कानून को हाथ में लिया जाता है या असामान्य स्थिति पैदा की जाती है, जिससे समाज में समस्या पैदा हो तो उस स्थिति में उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।''

-उमेश कुमार यादव, अपर पुलिस अधीक्षक।


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