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अतिक्रमण के नाम पर बंद हो पटरी दुकानदारों का शोषण

मौसम की तपिश के साथ चुनावी पारा भी चढ़ने लगा है। बढ़ती चुनावी सरगर्मी को हर कोई अब महसूस करने लगा है। सोमवार को नामांकन प्रक्रिया का श्रीगणेश भी हो गया। लिहाजा लोगों का नजरिया भी राजनीतिक रंग में सराबोर होने लगा है। राजनैतिक दलों की गहमागहमी के साथ आम आवाम की सक्रियता बढ़ती दिख रही है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 08:18 AM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 08:18 AM (IST)
अतिक्रमण के नाम पर बंद हो पटरी दुकानदारों का शोषण
अतिक्रमण के नाम पर बंद हो पटरी दुकानदारों का शोषण

जागरण संवाददाता, बलिया : मौसम की तपिश के साथ चुनावी पारा भी चढ़ने लगा है। बढ़ती चुनावी सरगर्मी को हर कोई अब महसूस करने लगा है। सोमवार को नामांकन प्रक्रिया का श्रीगणेश भी हो गया। लिहाजा लोगों का नजरिया भी राजनीतिक रंग में सराबोर होने लगा है। राजनैतिक दलों की गहमागहमी के साथ आम आवाम की सक्रियता बढ़ती दिख रही है।

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चुनावी माहौल में कोई विकास की बात कर रहा है तो कोई राष्ट्र के सहारे ही चुनावी वैतरणी पार करने की जोर जुगत में लगा है। प्रदेश के पिछड़े जिलों में शुमार जनपद की विकास यात्रा को परखने के लिए सोमवार को दैनिक जागरण ने पटरी दुकानदारों की ओर रुख किया। गांव की 70 प्रतिशत आबादी की जीवन रेखा माने जाने वाले इन व्यापारियों ने चुनावी चौपाल में न सिर्फ तथाकथित विकास की पोल खोल दी बल्कि रहनुमाओं को भी आइना दिखाने का काम किया।

नगर के टाउन हाल बापू भवन में आयोजित चुनावी चौपाल में पटरी व्यवसायियों ने अतिक्रमण के नाम पर आए दिन चलने वाले प्रशासनिक डंडे पर नाराजगी जाहिर की तो वहीं जनप्रतिनिधियों की मंशा पर भी सवालिया निशान लगाया। कहा कि चुनाव में वोट और सपोर्ट की बात करने वाले नेता चुनाव बाद डंडे की भाषा बोलना शुरु कर देते हैं। पटरी दुकानदारों की स्थित घुंघरु की तरह होकर रह गई है कभी यहां तो कभी वहां फेंका जाता है। कहा कि वर्षों की प्रताड़ना से मन व्यथित हो चुका है। सरकार ने बेशक छोटे दुकानदारों के लिए कई योजनाएं संचालित कर रखी हैं लेकिन जटिल प्रक्रियाओं के चलते लाभ नहीं मिल पा रहा है। प्रशासन की मनमानी किस कदर हाबी है इसका ज्वलंत प्रमाण सीएम का आदेश है। तकरीबन डेढ़ वर्षों बाद भी आदेश का पालन न होना क्या प्रदर्शित करता है। मतदाताओं से अपील

-दल नहीं विजन के आधार पर दें वोट।

-छल-फरेब की राजनीतिक से दूर रहकर सही व्यक्ति का चुनाव करें। प्रमुख राष्ट्रीय मुद्दे

-समाजिक विभाजन को बढ़ावा देने वाले भाषणों पर लगे रोक।

-सरकारी तंत्र की मनमानी पर लगे अंकुश।

-राष्ट्रीय मुद्दों पर बंद हो राजनीति। प्रमुख राज्यस्तरीय मुद्दे

-सरकारी योजनाओं की जटिलता कम की जाए।

-रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएं।

-लोहिया मार्केट को चालू किया जाए। प्रमुख स्थानीय मुद्दे

-बैंकों की मनमानी और बिचौलियों पर लगे रोक।

-पटरी दुकानदारों को मिल स्थाई जगह।

-प्रशासनिक उत्पीड़न बंद हो।

-जाम से मुक्ति के लिए नो इंट्री की व्यवस्था शुरू की जाए।


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